Ranchi : झारखंड उलगुलान संघ, आदिवासी बचाओ मोर्चा समेत कई सामाजिक संगठनों ने सीएनटी एक्ट के 117 वर्ष पूरा होने पर मोरहाबादी मैदान से राजभवन तक पैदल मार्च किया. वक्ताओं ने कहा कि आदिवासियों की जमीन आज भी लूटी जा रही है, जबकि इस कानून में जमीन सुरक्षा का प्रावधान है.
मार्च के दौरान वक्ताओं ने कहा कि 11 नवंबर को सीएनटी एक्ट 1908 आदिवासियों की जमीन की रक्षा के लिए बना था, लेकिन सरकार और प्रशासन की उदासीनता के कारण आज भी बड़े पैमाने पर भूमि हस्तांतरण हो रहा है. आदिवासियों की धार्मिक जमीन भी लूटी जा रही है. राजय भर से आदिवासियों का विस्थापन जारी है.
सामाजिक कार्यकर्ता लक्ष्मी नारायण मुंडा, अलस्टर बोदरा, सनिका मुंडा और प्रेमशाही मुंडा ने कहा कि 1950 में संविधान लागू हुआ, जिसमें सीएनटी एक्ट को संवैधानिक मान्यता मिली. बावजूद इसके आदिवासियों की जमीनों पर लगातार कब्जा हो रहा है. सरकारें बदलती रहीं, पर आदिवासियों के हक की रक्षा को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि राज्य गठन के 25 साल बाद भी आदिवासियों का पलायन रुक नहीं सका, जबकि उनके पास जंगल, जमीन और जल जैसे संसाधनों पर प्राकृतिक अधिकार हैं.
वक्ताओं ने कहा कि राजनीतिक दल आदिवासियों के मुद्दों पर सिर्फ चुनावी समय में बोलते हैं, बाकी समय चुप्पी साध लेते हैं. 25 साल बाद भी पेसा कानून लागू नहीं हो सका है. संगठनों ने राज्यपाल से सीएनटी-एसपीटी एक्ट का सख्त पालन कराने, जमीन की लूट पर रोक लगाने की मांग की है.



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