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रांची : रिनपास को हाईटेक व आधुनिक बनाने का स्वास्थ्य मंत्री इरफान ने किया ऐलान

Ranchi : रांची के कांके स्थित जेई धनजीभॉय अकैडमी एंड रिसर्च सेंटर, रिनपास में आज शताब्दी वर्ष समारोह का पहला दिन आयोजित किया गया. इस वर्ष का थीम 'लीगेसी ऑफ केयर: सेंचुरी ऑफ लीगेसी' रखा गया.

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कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन रहे. स्वास्थ्य मंत्री डॉ इरफान अंसारी, सांसद संजय सेठ, अपर मुख्य सचिव अजय कुमार सिंह, कांके विधायक सुरेश बैठा, सुबोधकांत सहाय, राजेश ठाकुर, रांची के उपायुक्त और रिनपास निदेशक अमूल रंजन भी उपस्थित थे.

 

निदेशक अमूल रंजन ने सभी अतिथियों को पौधा, स्मृति चिन्ह और मरीजों द्वारा बनाए गए उपहार देकर सम्मानित किया. इस अवसर पर डाक टिकट जारी किया गया, सोवरेन रिलीज किया गया, मानसिक स्वास्थ्य पर चार पुस्तकों का विमोचन किया गया और टेली मेंटल हेल्थ कॉन्फ्रेंसिंग का शुभारंभ मुख्यमंत्री ने किया.

 

कार्यक्रम में सेवानिवृत्त निदेशकों को सम्मानित किया गया जिनमें डॉ प्रो पीके चक्रवर्ती, डॉ एमएम अग्रवाल, डॉ अशोक कुमार नाथ, डॉ केके सिन्हा, पूर्व अधीक्षक डॉ प्रवीन कुमार सिन्हा, डॉ कप्तान सिंह, डॉ अशोक कुमार प्रसाद और डॉ एएन वर्मा शामिल थे.

 

अपर मुख्य सचिव अजय कुमार सिंह ने रिनपास परिवार को 100 वर्ष पूरे होने पर बधाई दी और सीमित संसाधनों के बावजूद उपलब्धियों की सराहना की.

 

स्वास्थ्य मंत्री डॉ इरफान अंसारी ने कहा कि रिनपास केवल अस्पताल नहीं बल्कि राज्यवासियों के लिए वरदान है. उन्होंने कहा कि पिछले 20 वर्षों में स्वास्थ्य क्षेत्र में बहुत कम काम हुआ, लेकिन मुख्यमंत्री के नेतृत्व में पिछले छह वर्षों में काफी विकास हुआ है. RINPAS  इमारत का जीर्णोद्धार कर हाईटेक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी और एआई तकनीक से जोड़ा जाएगा.

 

सांसद संजय सेठ ने कहा कि युवाओं में मानसिक रोगों की बढ़ती संख्या चिंता का विषय है. उन्होंने संस्थान को अंतरराष्ट्रीय स्तर का बनाने पर बल दिया.

 

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि आने वाले समय में ऐसे संस्थानों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होगी. राज्य के विभिन्न हिस्सों से लोग यहां आते, उन्होंने कहा कि मानसिक समस्याओं के बढ़ते मामलों को देखते हुए रिनपास में तकनीक और आधुनिक संसाधनों को जल्द शामिल करना आवश्यक है.

 

मुख्यमंत्री ने भरोसा दिलाया कि रिनपास को जल्द बदलते रूप में देखा जाएगा और जागरूकता कार्यक्रमों के जरिए मानसिक रोगों से जुड़ी सामाजिक कलंक की भावना को दूर किया जाएगा.

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