Netarhat: भुईंहर मुंडा समुदाय 25 वर्षों से एसटी सूची में शामिल होने की मांग कर रहे रहे है. यह समुदाय पलामू, गढ़वा, लातेहार, गुमला एवं सिमडेगा जिला में पाए जाते है. ये समुदाय धार्मिक रूप से अपने क्षेत्र में बैग एवं पाहन कहलाते है. और इनके जमीन सीएनटी एक्ट के अधीन है.
इस दौरान भुईंहर समाज प्रतिनिधि सत्य प्रकाश हुरहूरिया ने बताया कि राज्य निर्माण से पहले भुईंहर मुंडा आदिवासी थे. समुदाय का एसटी का जाति प्रमाण पत्र अंचल से बनाए जाते थे. लेकिन बिहार से अलग होने के बाद एसटी सूची से बाहर हो गए.
रांची, पलामू, बंगाल और ओडिशा गजेटियर के अनुसार प्रथम बाशिंदे के रूप में परिभाषित किए गए है. बावजूद इसके अनुसूचित जनजाति सूची में सूचीबद्ध नहीं है. जबकि छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र की सूची में सूचीबद्ध है.
इस संबंध में भारत के महा रजिस्ट्रार जनरल सामाजिक विभाग ने जनजाति मंत्रालय भारत सरकार के माध्यम से पांच बिंदुओं पर स्पष्टीकरण 20 मार्च 2023 को झारखंड सरकार से मांगा गया था.
27 अप्रैल 2023 को भुईंहर समुदाय पर स्पष्टीकरण मांगा गया था. कार्मिक प्रशासनिक सुधार राजभाषा विभाग द्वारा डॉक्टर रामदयाल मुंडा शोध संस्थान को आदेश जारी किया गया था. तत्पश्चात शोध संस्थान रांची ने पांच बिंदुओं पर प्रकाश डाला.
भुईंहर मुंडा समुदाय के प्रतिनिधि ने कि बताया मानव शास्त्री द्वारा भुईंहर मुंडा समुदाय का अध्ययन कराया गया और स्पष्टीकरण तैयार कर कार्मिक प्रशासनिक राजभाषा विभाग, झारखंड सरकार को सौंप दिया.
भूईंहर मुंडा समुदाय ने इस विषय में आरटीआई से जानकारी मांगा. लगभग 24 महीना होने के बाद भी पांच बिंदुओं पर तैयार की हुई फाइल भारत सरकार के जनजातीय मंत्रालय को नहीं भेजी गई है. यह समुदाय वर्तमान समय में विलुप्ति के कगार पर पहुंच गई है.
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