New Delhi : आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने आज बुधवार को दूसरे दिन विज्ञान भवन में आरएसएस शताब्दी वर्ष के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम संघ की 100 वर्ष की यात्रा: नये क्षितिज को संबोधित किया. मोहन भागवत ने कहा कि किसी भी स्वयंसेवी संगठन का इतना कड़ा और कटु विरोध नहीं हुआ, जितना संघ का हुआ है. 1925 में संघ की स्थापना करते समय डॉ. हेडगेवार ने संपूर्ण हिंदू समाज का संगठन बनाने की बात कही थी.
#WATCH | Delhi: RSS chief Mohan Bhagwat says, "...What is Hindutva? What is Hinduness? What is the ideology of Hindu? If we have to summarise, then there are two words, truth and love. The world runs on oneness; it does not run on deals, it does not run on contracts, it cannot… pic.twitter.com/nWDZNKrQun
— ANI (@ANI) August 27, 2025
#WATCH | Delhi: RSS chief Mohan Bhagwat says, "...In the media, there is a lot of negative news…But in India, the society is 40 times better than what is seen today. If someone evaluates India only on the basis of media reports, then it will be wrong."
— ANI (@ANI) August 27, 2025
"The ego of an individual… pic.twitter.com/Q5cOatSVrI
मोहन भागवत ने हिंदुत्व की व्याख्या करते हुए कहा कि हिंदुत्व क्या है? हिंदूपन क्या है? हिंदू की विचारधारा क्या है? संक्षेप में कहें तो दो शब्द हैं, सत्य और प्रेम. दुनिया एकता से चलती है. यह सौदों से नहीं चलती, यह अनुबंधों से नहीं चलती, यह चल नहीं सकती.
मोहन भागवत ने कहा कि हिंदू राष्ट्र का जीवन मिशन क्या है? हमारा हिंदुस्तान, इसका उद्देश्य विश्व कल्याण है. विकास के क्रम में, दुनिया ने अपने भीतर खोजना बंद कर दिया. अगर हम अपने भीतर खोज करें, तो हमें शाश्वत खुशी का स्रोत मिल जायेगा जो कभी खत्म नहीं होगा इसे पाना मानव जीवन का अंतिम लक्ष्य है और इससे सभी खुश होंगे.
मोहन भागवत ने कहा कि धर्म में धर्मांतरण नहीं होता. धर्म एक सच्चा तत्व है, जिसके आधार पर सब कुछ चलता है, हमें धर्म के साथ आगे बढ़ना है, उपदेश या धर्मांतरण से नहीं, बल्कि उदाहरण और व्यवहार से. इसलिए, भारतवर्ष का जीवन-लक्ष्य ऐसा जीवन जीना है, ऐसा आदर्श गढ़ना है जिसका विश्व अनुकरण कर सके.
आरएसएस चीफ ने कहा कि हर कोई एक-दूसरे के साथ सद्भाव से रह सकेगा. दुनिया के संघर्ष खत्म हो जायेंगे. दुनिया में शांति और खुशी होगी. मोहन भागवत ने कहा कि प्रथम विश्व युद्ध के बाद राष्ट्र संघ बना. दूसरा विश्व युद्ध फिर भी हुआ. संयुक्त राष्ट्र बना. तीसरा विश्व युद्ध नहीं होगा. ये हम आज नहीं कह सकते.
दुनिया में अशांति है, संघर्ष हैं. कट्टरता बढ़ी है. जो लोग चाहते हैं कि जीवन में कोई शालीनता न रहे, कोई संस्कार न रहे. वो इस कट्टरता का प्रचार करते हैं. जो हमारे खिलाफ बोलेगा, हम उसे रद्द कर देंगे. जो नये शब्द आये हैं, वो चिंताजनक हैं.
नये शब्द जो आये हैं, वोकिज्म आदि. यह बहुत बड़ा संकट है. यह सभी देशों पर है, अगली पीढ़ी पर है. सभी देशों के संरक्षक चिंतित हैं. बुजुर्ग चिंतित हैं. क्यों? क्योंकि कोई संबंध नहीं है. धर्म पूजा, भोजन आदि से परे है. धर्म के ऊपर जो धर्म है, जो सभी धर्मों को चलाता है, वह धर्म विविधता को स्वीकार करता है. वह धर्म संतुलन सिखाता है.
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, मीडिया में नकारात्मक खबरों की भरमार होती है, लेकिन भारत में समाज आज की तुलना में 40 गुना बेहतर है. अगर कोई सिर्फ़ मीडिया रिपोर्टों के आधार पर भारत का मूल्यांकन करता है, तो वह ग़लत होगा.
उन्होंने कहा कि पूरा समाज हमारे विचारों पर विश्वास करे या न करे, लेकिन वे हमारी विश्वसनीयता पर विश्वास करते हैं. इसीलिए जब हम कुछ कहते हैं, तो समाज हमारी बात सुनता है और इसीलिए हम 100 साल पूरे कर रहे हैं. हमारा अगला कदम यह सुनिश्चित करना होगा कि हम जो कुछ भी कर रहे हैं, वह पूरे समाज में हो.
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