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पुतिन के सामने अमेरिका में एक कमजोर नेतृत्व है
ब्रिटिश राजनीतिक विश्लेषक डगलस मरी कहते हैं कि पुतिन पगला गये हैं और खतरनाक हैं लेकिन अमेरिका के कमजोर राष्ट्रपति जो बाइडन के कदमों से रूसी राष्ट्रपति और ज्यादा मजबूत हो गये हैं. वह कहते हैं कि यूरोप में शुरू होने जा रहे इस युद्ध से किसी को आश्चर्य नहीं है. करीब एक साल हो गया जब रूसी राष्ट्रपति यूक्रेन की सीमा पर हथियार और सैनिक जमा कर रहे हैं. मार्च 2021 में रूस ने करीब 90 हजार सैनिकों को ऐक्शन के लिए भेजा था.कहा कि पुतिन का मानना है कि यूक्रेन एक कल्पित देश है जो रूस से ताल्लुक रखता हैय मरी के अनुसार पुतिन ने रूस के सैनिकों को रूसी भाषा बोलने वाले लोगों की रक्षा करने के लिए यूक्रेन के पूर्वी इलाकों में भेज दिया है. सवाल यह है कि पुतिन के इस कदम के बाद बाकी दुनिया क्या करने जा रही है. मरी ने कहा कि पहली चीज हमें जो माननी होगी कि हम आंशिक रूप से ऐसी स्थिति में हैं जब अमेरिका में एक कमजोर लीडरशिप है. फ्रांस सहित अन्य देशों के नेताओं ने गंभीर कूटनीति दिखाते हुए मास्को का दौरा किया लेकिन उनका प्रयास विफल गया. इसे भी पढ़ें : आज">https://lagatar.in/today-bajrang-dals-demonstration-in-karnataka-tejashwi-surya-met-the-relatives-of-the-deceased-curfew-till-6-am-on-friday/">आजबजरंग दल का कर्नाटक में प्रदर्शन, तेजस्वी सूर्या मृतक के परिजनों से मिले, शुक्रवार सुबह 6 बजे तक कर्फ्यू
ट्रंप के शासनकाल में पुतिन कहीं भी घुसपैठ नहीं कर सके थे
विश्लेषक कहते हैं कि पुतिन को जो घुटनों पर लाने का काम दुनिया में केवल और केवल अमेरिका का राष्ट्रपति ही कर सकता है. आप डोनाल्ड ट्रंप को पसंद करें या नहीं करें, उनके शासनकाल में पुतिन किसी भी देश में घुसपैठ नहीं कर सके थे. ट्रंप के दमदार नेतृत्व की वजह से पुतिन उनके वाइट हाउस में रहने तक हमला करने का दुस्साहस नहीं कर सके. मरी ने कहा कि बाइडन का राष्ट्रपति कार्यकाल अलग है.पुतिन ने बाइडन की इस कमजोर होती स्थिति को भांप लिया है.अफगानिस्तान से अमेरिका की शर्मनाक वापसी
मरी के अनुसार पुतिन ने देखा कि किस तरह से अमेरिका बहुत बुरी स्थिति में अफगानिस्तान से वापस लौटा है. करीब 20 साल तक लड़ने के बाद अमेरिका और नाटो देश उसी तालिबान को सत्ता सौंपकर लौट आये जिसके खिलाफ वे लड़ रहे थे. कहा कि यूक्रेन के मोर्चे पर बाइडन कहीं भी बढ़त दिखाते नहीं नजर आये. बाइडन ने तो यहां तक कह दिया था कि वह रूस को यूक्रेन का एक हिस्सा ले जाने की अनुमति दे देंगे. हालांकि बाद में वाइट हाउस ने सफाई दी कि बाइडन ने गलती से यह बोल दिया था. कहा जा रहा है कि बाइडन ने यूक्रेन संकट को निपटाने के लिए कमला हैरिस को भेजा, लेकिन वह और भीज्यादा बेकार निकलीं.अब तक कमला हैरिस उपराष्ट्रपति रहते हुए कोई भी संकट नहीं हल सकी हैं. इसे भी पढ़ें : अंडरवर्ल्ड">https://lagatar.in/ncp-leader-nawab-malik-questioned-on-alleged-links-with-underworld-malik-was-brought-to-ed-office-early-in-the-morning/">अंडरवर्ल्डसे कथित संबंधों पर एनसीपी नेता नवाब मलिक से पूछताछ, सुबह-सुबह मलिक को ED कार्यालय लाया गया

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