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Russia-Ukraine war: रूसी सेना के 100  ट्रकों का काफिला आगे बढ़ा, बाइडेन ने कहा, हम भेज रहे हैं फोर्स, दुनिया को क्यों याद आ रहे डोनाल्ड ट्रंप?

 Ukraine/kiev:  यूक्रेन संकट के बीच अब अमेरिका और रूस आमने-नजर आ रहे हैं.  खबर है कि  रूस की सेना के 100 से अधिक ट्रकों का काफिला यूक्रेन की सीमा की ओर जाते देखा गया है. प्रत्यक्षदर्शियों के हवाले से रॉयटर्स ने ये खबर दी है. रॉयटर्स के अनुसार रूसी सेना का काफिला बेलगोरोड इलाके में यूक्रेनी सीमा की तरफ जाते देखा गया है. दूसरी तरफ राष्ट्रपति बाइडेन ने कहा है कि वह NATO Baltic देशों की मदद के लिए फोर्स भेज रहे हैं. हालांकि रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने कहा है कि हमने यूक्रेन में सेना भेजने को लेकर अभी आदेश नहीं दिया है. पुतिन ने कहा है कि हालात को देखते हुए सैनिकों की तैनाती को लेकर फैसला लिया जायेगा. सेना की तैनाती समझौते के अनुसार ही की जायेगी. साथ ही यह भी कहा कि यूक्रेन के साथ विवाद का हल हो सकता है बशर्ते यूक्रेन नाटो में शामिल ना हो. जान लें कि रूसी सेना के आगे बढ़ने की खबरों के बीच अमेरिका का भी बयान आया है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि अमेरिका NATO Baltic के सहयोगी देशों को बचाने के लिए सेना भेज रहा है. कहा गया कि ऐसा रूस द्वारा पूर्वी क्षेत्र में ज्यादा सेना लगाने की वजह से किया जा रहा है. इसे भी पढ़ें : UP">https://lagatar.in/up-election-2022-mayawati-surprised-by-praising-amit-shah-saying-voting-for-sp-means-supporting-gunda-raj/">UP

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 पुतिन के सामने अमेरिका में एक कमजोर नेतृत्व है

ब्रिटिश राजनीतिक विश्लेषक डगलस मरी कहते हैं कि पुतिन पगला गये हैं और खतरनाक हैं लेकिन अमेरिका के कमजोर राष्ट्रपति जो बाइडन के कदमों से रूसी राष्ट्रपति और ज्यादा मजबूत  हो गये हैं. वह कहते हैं कि यूरोप में शुरू होने जा रहे इस युद्ध से किसी को आश्चर्य नहीं है. करीब एक साल हो गया जब रूसी राष्ट्रपति यूक्रेन की सीमा पर हथियार और सैनिक जमा कर रहे हैं. मार्च 2021 में रूस ने करीब 90 हजार सैनिकों को ऐक्‍शन के लिए भेजा था.कहा कि पुतिन का मानना है कि यूक्रेन एक कल्पित देश है जो रूस से ताल्लुक रखता हैय मरी के अनुसार पुतिन ने रूस के सैनिकों को रूसी भाषा बोलने वाले लोगों की रक्षा करने के लिए यूक्रेन के पूर्वी इलाकों में भेज दिया है. सवाल यह है कि पुतिन के इस कदम के बाद बाकी दुनिया क्या करने जा रही है. मरी ने कहा कि पहली चीज हमें जो माननी होगी कि हम आंशिक रूप से ऐसी स्थिति में हैं जब अमेरिका में एक कमजोर लीडरशिप है. फ्रांस सहित अन्य देशों के नेताओं ने गंभीर कूटनीति दिखाते हुए मास्को का दौरा किया लेकिन उनका प्रयास विफल गया. इसे भी पढ़ें :  आज">https://lagatar.in/today-bajrang-dals-demonstration-in-karnataka-tejashwi-surya-met-the-relatives-of-the-deceased-curfew-till-6-am-on-friday/">आज

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 ट्रंप  के शासनकाल में पुतिन कहीं भी घुसपैठ नहीं कर सके थे

विश्लेषक कहते हैं कि पुतिन को जो घुटनों पर लाने का काम दुनिया में केवल और केवल अमेरिका का राष्ट्रपति ही कर सकता है. आप डोनाल्ड ट्रंप को पसंद करें या नहीं करें, उनके शासनकाल में पुतिन किसी भी देश में घुसपैठ नहीं कर सके थे. ट्रंप के दमदार नेतृत्व की वजह से पुतिन उनके वाइट हाउस में रहने तक हमला करने का दुस्साहस नहीं कर सके. मरी ने कहा कि बाइडन का राष्ट्रपति कार्यकाल अलग है.पुतिन ने बाइडन की इस कमजोर होती स्थिति को भांप लिया है.

  अफगानिस्तान से अमेरिका की शर्मनाक वापसी 

मरी के अनुसार पुतिन ने देखा कि किस तरह से अमेरिका बहुत बुरी स्थिति में  अफगानिस्तान से वापस लौटा है. करीब 20 साल तक लड़ने के बाद अमेरिका और नाटो देश उसी तालिबान को सत्ता सौंपकर लौट आये जिसके खिलाफ वे लड़ रहे थे. कहा कि यूक्रेन के मोर्चे पर बाइडन कहीं भी बढ़त दिखाते नहीं नजर आये.  बाइडन ने तो यहां तक कह दिया था कि वह रूस को यूक्रेन का एक‍ हिस्सा ले जाने की अनुमति दे देंगे. हालांकि बाद में वाइट हाउस ने सफाई दी कि बाइडन ने गलती से यह बोल दिया था. कहा जा रहा है कि बाइडन ने यूक्रेन संकट को निपटाने के लिए कमला हैरिस को भेजा, लेकिन वह और भीज्यादा बेकार निकलीं.अब तक कमला हैरिस उपराष्‍ट्रपति रहते हुए कोई भी संकट नहीं हल सकी हैं. इसे भी पढ़ें :  अंडरवर्ल्ड">https://lagatar.in/ncp-leader-nawab-malik-questioned-on-alleged-links-with-underworld-malik-was-brought-to-ed-office-early-in-the-morning/">अंडरवर्ल्ड

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क्या हैं NATO Baltic देश?

NATO Baltic देश ऐसे देश हैं जिनपर कभी मॉस्को का शासन था.  इसमें Estonia (एस्टोनिया), Latvia (लातविया) और Lithuania (लिथुआनियाई) शामिल हैं. ये देश 2004 से NATO (North Atlantic Treaty Organization) और यूरोपियन यूनियन का हिस्सा हैं.   [wpse_comments_template]

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