New Delhi : ऑपरेशन सिंदूर पर लोकसभा में हो रही चर्चा में भाग लेते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने विपक्ष के आरोपों पर जवाब दिया. एस जयशंकर ने कहा कि हमने पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया. हमने पाकिस्तान को कड़ा संदेश दिया. भारत अब परमाणु ब्लैकमेलिंग नहीं सहेगा.
#WATCH | "I want to remind this House that the Doklam crisis was on. The Leader of Opposition decided to get a briefing not from the government, not from the MEA, but from the Chinese ambassador. He took his briefing from the Chinese ambassador when our military was confronting… pic.twitter.com/TFW7Y59aer
— ANI (@ANI) July 28, 2025
#WATCH | During the discussion on Operation Sindoor in the House, EAM Dr S Jaishankar says, "We were asked, why did you stop at this time? Why did you not go further? This question is being asked by people who, after 26/11, felt that the best action was inaction."
— ANI (@ANI) July 28, 2025
"...26/11… pic.twitter.com/r80uus7djo
विदेश मंत्री ने नौ मई की सुबह अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस की फोन कॉल को लेकर सदन को बताया कि अमेरिकी उपराष्ट्रपति ने कहा कि पाकिस्तान बड़ा हमला कर सकता है. इस पर प्रधानमंत्री मोदी ने उनसे साफ कह दिया कि भारत इसका मुंहतोड़ जवाब देगा.
जयशंकर ने किसी भी तरह की मध्यस्थता से इनकार करते हुए कहा कि सीजफायर की पहल पाकिस्तान द्वारा की गयी थी. भारत ने स्पष्ट रूप से कह दिया था कि पाकिस्तान अगर युद्ध रोकना चाहता है तो उसके डीजीएमओ हमारे डीजीएमओ से बात करें.
विदेश मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच 22 अप्रैल से 17 जून तक कोई फोन कॉल नहीं हुई. इस पर विपक्ष ने फिर हंगामा शुरू कर दिया.इसके बाद गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष पर हमलावर होते हुए कहा कि भारत का विदेश मंत्री यहां(संसद) बोल रहा है.
इनको विदेश मंत्री पर भरोसा नहीं है. किसी और देश(पाकिस्तान) पर भरोसा है. इसीलिए ये वहां बैठे हैं, अगले 20 साल तक वहीं बैठने वाले हैं. अमित शाह ने कहा, जब उनके अध्यक्ष बोल रहे थे, तो हमने धैर्यपूर्वक सुना. अब मैं कल बताऊंगा कि उन्होंने कितने झूठ बोले हैं .अध्यक्ष जी (ओम बिरला) आप उन्हें समझाइए वरना अब हम अपने सदस्यों को कुछ नहीं समझा पायेंगे
अपनी चीन यात्रा को लेकर जयशंकर ने कहा. हां मैं चीन गया था. उन्होंने कहा कि मैं सीमा पर तनाव कम करने पर चर्चा, व्यापार सहित अन्य विषयों पर अपना स्टैंड क्लियर करने गया था. कहा कि मैं कोई सीक्रेट समझौते करने नहीं गये थे. इस पर विपक्षी सासंदों ने हो हंगामा शुरू कर दिया.
जयशंकर ने राहुल गांधी का नाम लिय़े बिना कहा कि डोकलाम में जब हमारी सेना चीन के साथ आमने-सामने थी, विपक्ष के नेता अपने घर पर चीन के राजदूत से ब्रीफिंग ले रहे थे. इस क्रम में विदेश मंत्री ने कहा कि सीमा पार से आतंकवाद की चुनौती अब भी कायम हैं, जिसके लिए न्यू नॉर्मल हमारी पोजिशन है.
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने तंज कसते हुए कहा कि विपक्ष के नेता(राहुल) ने इतिहास की क्लास मिस कर दी होगी. कहा कि टू फ्रंट तो 1948 में शुरू हुआ था पीओके के लिए.कांग्रेस को याद दिलाया कि 1966 में चीन की पहली सैन्य सप्लाई पाकिस्तान पहुंची थी. कहा कि 1986 में परमाणु सहयोग दोनों का चरम पर था, जब राजीव गांधी पाकिस्तान गये थे.
उन्होंने पाकिस्तान और चीन के बीच समझौतों का इतिहास गिनाते हुए कहा कि पाकिस्तान-चीन सहयोग का इतिहास 60 साल का है. जयशंकर का बातों को अनसुना करते हुए विपक्ष की ओर से टोकाटोकी की जाना लगी. इस पर स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि आपको जवाब तो सुनना पड़ेगा. जैसे सवाल करोगे, वैसे जवाब भी सुनने पड़ेंगे.
विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा, हमसे पूछा गया कि आप इस समय क्यों रुक गये? आप आगे क्यों नहीं बढ़े? यह सवाल वे लोग पूछ रहे हैं, जिन्हें 26/11 के बाद लगा कि निष्क्रियता ही सबसे अच्छी कार्रवाई है. उन्होंने कहा, 26/11 नवंबर 2008 में हुआ था. प्रतिक्रिया क्या थी? प्रतिक्रिया शर्म-अल-शेख की थी. शर्म-अल-शेख में, तत्कालीन सरकार और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इस बात पर सहमत हुए थे कि आतंकवाद दोनों देशों के लिए एक मुख्य खतरा है.
अब, आज लोग कह रहे हैं कि अमेरिका आपको जोड़ रहा है, रूस आपको जोड़ रहा है, यही मैंने दीपेंद्र हुड्डा जी को कहते सुना. आप खुद को जोड़ रहे हैं. आपको किसी विदेशी देश से यह कहने की ज़रूरत नहीं थी कि कृपया भारत को पाकिस्तान से जोड़िए.
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