New Delhi : द सैटेनिक वर्सेज के लेखक फिर एक बार सुर्खियों में हैं. ब्लूमबर्ग को दिये गये एक साक्षात्कार ने उन्हें चर्चा में ला दिया है. अपने साक्षात्कार में सलमान रुश्दी ने भारत में जारी मोदी सरकार के कार्यकाल में फ्री स्पीच और प्रेस फ्रीडम को लेकर चिंता जताई है. इंटरव्यू ब्लूमबर्ग में 5 दिसंबर 2025 को छपा है.
Novelist Salman Rushdie is "very worried" about growing Hindu nationalism and restrictions on free expression in Modi's India
— Bloomberg (@business) December 7, 2025
Speaking to Mishal Husain, he says he first saw the warning signs decades ago
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याद करें कि मुंबई में जन्मे ब्रिटिश लेखक सलमान रुश्दी की किताब द सैटेनिक वर्सेज पर भारत में प्रतिबंध लगा दिया गया था. सलमान रुश्दी पर अमेरिका में फ्रीडम ऑफ स्पीच को लेकर 2022 में हादी मातर नाम के शख्स ने धारदार हथियार से उन पर हमला किया था.
हमले में उनकी एक आंख खराब हो गयी थी. इससे रहले 1989 में द सैटेनिक वर्सेज के लिए ईरान के कट्टरपंथी धार्मिक नेता अयातुल्ला खमैनी ने उनके खिलाफ फतवा जारी हो चुका था.
ब्लूमबर्ग को दिये अपने नये इंटरव्यू में सलमान रुश्दी ने कहा कि भारत में उनके कई दोस्त हैं. वहां हो रहे पत्रकारों, लेखकों, बुद्धिजीवियों, प्रोफेसरों आदि पर हमले को लेकर लोग बहुत ज्यादा चिंतित हैं.
सलमान रुश्दी को लगता है कि देश का इतिहास फिर से लिखने की कोशिश हो रही है. और यह निश्चित रूप से हिंदुओं को अच्छा और मुसलमानों को खराब दिखाने के लिए हो रहा है.
उन्होंने लेखक वीएस नायपॉल का जिक्र करते हुए कहा कि नायपॉल भारतीय सभ्यता को घायल सभ्यता करार दे चुके हैं. उनका विचार कि भारत एक हिंदू सभ्यता है, जो मुसलमानों के आने से घायल हुई है. रुश्दी के अनुसार इस प्रोजेक्ट(इतिहास लेखन) के पीछे बहुत बड़ी शक्ति काम कर रही है.
दरअसल ब्लूमबर्ग ने एक्स पर सलमान रुश्दी के इंटरव्यू को प्रमोट करने के लिए पोस्ट लिखा है. इसमें कहा गया है कि उपन्यासकार सलमान रुश्दी पीएम मोदी के भारत में बढ़ते हिंदू राष्ट्रवाद और अभिव्यक्ति की आजादी पर प्रतिबंधों को लेकर बहुत चिंतित हैं. एंकर मिशाल हुसैन से बात करते हुए रश्दी कहते हैं, उन्होंने एक दशक पहले ही यह समझ लिया था.
बता दें कि सलमान रुश्दी उन पत्रकारों में शामिल हैं, जिन्होंने डिवाइन इन चीफ...लिखने वाले पत्रकार आतिश तासीर की OCI रद्द करने पर मोदी सरकार को पत्र लिखा था. यह पहला अवसर नहीं है जब सलमान रुश्दी ने पीएम मोदी की आलोचना कर रहे हैं.
2014 से पीएम बनने के बाद से सलमान रुश्दी जब भी मौका मिलता है, पीएम मोदी की आलोचना करने से नहीं चूकते. उन्होंने 2013 में पीएम मोदी के प्रधानमंत्री बनने की संभावना पर चिंता जताई थी कहा था कि कि भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार में जनता की अभिव्यक्ति और साहित्यिक गतिविधियों की आजादी खतरे में पड़ जा सकती है.
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