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सम्मान फाउंडेशन की 108 एंबुलेंस सेवा: एक साल में शिकायतें, हड़तालें व मौतों की लंबी कतार

Ranchi : साल 2025 अब बीत चुका है, लेकिन इस साल की सबसे कड़वी यादों में झारखंड की 108 एंबुलेंस सेवा का नाम बार-बार उभरकर सामने आता है. जो सेवा संकट की घड़ी में जीवन की डोर थामने के लिए बनाई गई थी, वही सेवा पूरे वर्ष सवालों, आरोपों और पीड़ादायक घटनाओं के बीच उलझी रही.

 

108 एंबुलेंस के संचालन की जिम्मेदारी संभाल रही सम्मान फाउंडेशन पर लापरवाही, अव्यवस्था, कर्मियों के शोषण और समय पर मदद न पहुंचने जैसे आरोप लगातार लगते रहे. यह साल स्वास्थ्य विभाग के लिए चेतावनी की तरह रहा, जहां हर महीने किसी न किसी जिले से विफलता की खबर आती रही.

 

जनवरी 2025

नए साल की शुरुआत उम्मीदों के साथ हुई थी, लेकिन ग्रामीण इलाकों से जल्द ही शिकायतें आने लगीं. कई जिलों में 108 पर कॉल करने के बाद भी एंबुलेंस घंटों बाद पहुंची या बिल्कुल नहीं पहुंची. कहीं वाहन कम थे तो कहीं पुराने और जर्जर एंबुलेंस सड़कों पर चल रही थीं. साल की शुरुआत में ही व्यवस्था की कमजोरी उजागर हो गई.

 

फरवरी 2025

चतरा, लातेहार और पलामू जैसे जिलों से यह खबर सामने आई कि कई एंबुलेंस तकनीकी रूप से खराब हालत में हैं. कुछ वाहनों में ऑक्सीजन सिलेंडर खाली मिले, तो कहीं स्ट्रेचर और जरूरी मेडिकल उपकरण काम नहीं कर रहे थे. स्वास्थ्यकर्मियों ने आंतरिक स्तर पर इसकी जानकारी दी, लेकिन जमीनी बदलाव नजर नहीं आया.

 

मार्च 2025

गुमला और सिमडेगा जिलों में गर्भवती महिलाओं को समय पर एंबुलेंस नहीं मिलने के मामले सामने आए. किसी को बाइक से, तो किसी को निजी वाहन से अस्पताल पहुंचाया गया. सुरक्षित मातृत्व की बात करने वाली व्यवस्था पर सवाल खड़े हुए. सामाजिक संगठनों ने इसे सीधे तौर पर 108 सेवा और सम्मान फाउंडेशन की विफलता बताया.

 

अप्रैल 2025

रांची और आसपास के इलाकों में एंबुलेंस कर्मियों का असंतोष खुलकर सामने आया. कर्मचारियों का आरोप था कि महीनों से पूरा वेतन नहीं मिल रहा है, पीएफ और ईएसआई की स्थिति स्पष्ट नहीं है, जबकि 24 घंटे की ड्यूटी कराई जा रही है. यह चुपचाप सुलगता असंतोष आगे चलकर बड़े आंदोलन की जमीन तैयार कर रहा था.

 

मई 2025

गर्मी के साथ सड़क दुर्घटनाओं और हीट स्ट्रोक के मामले बढ़े. इसी दौरान कई जिलों से यह शिकायत आई कि 108 कॉल सेंटर से संपर्क तो हो जाता है, लेकिन एंबुलेंस समय पर नहीं पहुंचती. कुछ मामलों में मरीजों की हालत बिगड़ गई, तो कहीं जान बचाने के लिए परिजनों ने खुद ही जोखिम उठाया.

 

जून 2025

स्वास्थ्य विभाग के स्तर पर 108 सेवा की समीक्षा हुई. बैठक में यह स्वीकार किया गया कि कई जिलों में एंबुलेंस का रिस्पॉन्स टाइम तय मानकों से काफी ज्यादा है. सेवा प्रदाता को सुधार के निर्देश दिए गए, लेकिन कागजी बैठकों का असर सड़कों पर कम ही दिखा.

 

जुलाई 2025

यह महीना 108 सेवा के लिए सबसे बड़ा संकट बनकर सामने आया. राज्यभर में ड्राइवर, ईएमटी और अन्य कर्मी हड़ताल पर चले गए. वेतन, पीएफ, ईएसआई और कार्य घंटों को लेकर कर्मचारियों ने काम ठप कर दिया. कई जिलों में एंबुलेंस पूरी तरह बंद रहीं. आपात स्थिति में मरीजों को कंधों, ठेलों और निजी वाहनों से अस्पताल ले जाना पड़ा.

 

अगस्त 2025

हड़ताल के बाद भी हालात पूरी तरह सामान्य नहीं हो सके. सीमित संख्या में ही एंबुलेंस सड़कों पर लौटीं. कई जगह गंभीर मरीजों को समय पर वाहन नहीं मिला. विपक्षी दलों ने सरकार और सम्मान फाउंडेशन पर तीखे आरोप लगाए और कहा कि जनता की जान के साथ समझौता किया जा रहा है.

 

सितंबर 2025

गुमला जिले में एक महिला की मौत का मामला सामने आया. परिजन घंटों तक 108 एम्बुलेंस का इंतजार करते रहे, लेकिन मदद समय पर नहीं पहुंची. महिला की मौत ने पूरे राज्य को झकझोर दिया. यह सवाल गूंजने लगा कि आपात सेवा आखिर किसके भरोसे चल रही है.

 

अक्टूबर 2025

अक्टूबर में चतरा जिले के जोरी थाना क्षेत्र से एक और दर्दनाक घटना सामने आई. सड़क दुर्घटना में धनगिरी सलैया गांव के 14 वर्षीय राकेश कुमार की मौत हो गई. आरोप लगा कि 108 एंबुलेंस की लापरवाही के कारण बच्चे की जान नहीं बचाई जा सकी.

 

सुबह करीब 9 बजे दुर्घटना के बाद स्थानीय लोगों ने 108 पर कॉल किया, लेकिन एंबुलेंस नहीं पहुंची. मजबूरी में राकेश को टेंपू से जोरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया, फिर सदर अस्पताल चतरा रेफर किया गया, जहां उसकी मौत हो गई. यह घटना व्यवस्था की असंवेदनशीलता का प्रतीक बन गई.

 

इसी महीने एक और गंभीर मामला सामने आया. एंबुलेंस संख्या JH-01-CH-8816 15 जुलाई को दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद धनबाद के कुंज विहार स्थित एक गैराज में महीनों से खड़ी थी.

 

इसके बावजूद ईएमएएस रजिस्टर में 18 से 23 अक्टूबर तक इस एंबुलेंस की सेवा दर्ज पाई गई. सवाल उठा कि जब वाहन गैराज में खड़ा था, तो रिकॉर्ड में वह मरीजों को सेवा कैसे दे रहा था. इसे गंभीर वित्तीय अनियमितता और रिकॉर्ड में हेरफेर का मामला माना गया.

 

नवंबर 2025

लगातार आलोचना और घटनाओं के बीच सरकार ने भविष्य की तैयारी की बात की. वित्तीय वर्ष 2025-26 में राज्य योजना के तहत दूरदराज के क्षेत्रों में रिफरल सेवाओं को मजबूत करने के लिए 80 करोड़ रुपये की लागत से ALS एंबुलेंस खरीदने की घोषणा की गई. सरकार ने माना कि व्यवस्था में खामियां हैं और सुधार जरूरी है.

 

दिसंबर 2025

साल के अंत में स्वास्थ्य विभाग ने 108 सेवा को तकनीक से जोड़ने की योजना सामने रखी. मोबाइल ऐप, जीपीएस ट्रैकिंग और निजी एंबुलेंस को नेटवर्क से जोड़ने जैसे प्रस्ताव आए. हालांकि पूरे साल चले विवादों के बाद यह सवाल अब भी कायम रहा कि क्या सिर्फ घोषणाओं से जनता का टूटा भरोसा लौट पाएगा.


जनवरी से दिसंबर 2025 तक 108 एंबुलेंस सेवा और सम्मान फाउंडेशन झारखंड के स्वास्थ्य विभाग में सबसे ज्यादा विवादों में रही. समय पर एंबुलेंस न पहुंचना, कर्मियों की हड़ताल, तकनीकी खामियां, कथित वित्तीय अनियमितताएं और मौतों के मामले इस सेवा की विश्वसनीयता पर गहरे घाव छोड़ गए.

 

यह साल याद दिला गया कि आपातकालीन सेवा सिर्फ वाहन और नंबर नहीं होती, बल्कि हर मिनट, हर कॉल और हर जीवन से जुड़ा भरोसा होती है. 2026 के लिए सबसे बड़ी चुनौती यही है कि यह भरोसा फिर से कैसे जिंदा किया जाए.

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