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ईसाई आदिवासियों से भिन्न हैं सरना आदिवासी : लक्ष्मीनारायण मुंडा

Ranchi: लालपुर स्थित भगवान बिरसा मुंडा समाधि स्थल के पीछे की जमीन पर सरना झंडा स्थापना को लेकर आदिवासी समाज के विभिन्न प्रतिनिधियों के बीच मतभेद गहराता जा रहा है. इस मुद्दे को लेकर समाज में तीखी बयानबाजी और आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. आदिवासी विधायक भी इस विवाद से पीछे हटते नजर नहीं आ रहे हैं.


शनिवार को केंद्रीय करमटोली स्थित धुमकुड़िया भवन में आदिवासी संगठनों की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई, जिसमें दर्जनों आदिवासी प्रतिनिधियों ने भाग लिया.


इस अवसर पर आदिवासी समन्वय समिति के संयोजक लक्ष्मीनारायण मुंडा ने कहा कि खिजरी विधायक राजेश कच्छप, भारत आदिवासी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष प्रेम शाही मुंडा, केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष अजय तिर्की और सामाजिक कार्यकर्ता सोनू खलखो  आगामी चुनावों को ध्यान में रखते हुए ईसाई और सरना आदिवासियों  को वोट बैंक के रूप में उपयोग कर रहे हैं, इसलिए वे पक्षपातपूर्ण रुख अपना रहे हैं.


ईसाई आदिवासियों से भिन्न हैं सरना आदिवासी – लक्ष्मीनारायण मुंडा


लक्ष्मीनारायण मुंडा ने कहा कि संवैधानिक रूप से ईसाई भी आदिवासी माने जाते हैं. लेकिन उनकी पूजा-पद्धति और धार्मिक संस्कृति सरना धर्मावलंबियों  से बिल्कुल अलग है. उन्होंने आरोप लगाया कि समाधि स्थल के पास कुछ ईसाई धर्मावलंबियों ने जबरन सरना झंडा  स्थापित कर दिया है, जिससे समाज में भ्रम और तनाव फैल रहा है. यह मूल सरना धर्म मानने वालों के साथ धोखा  है.


सरना झंडा सरना धर्म का प्रतीक है – फूलचंद तिर्की


केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष फूलचंद तिर्की ने स्पष्ट रूप से कहा कि सरना झंडा मूल आदिवासी पहचान का प्रतीक है और इसका राजनीतिक स्वार्थों के लिए इस्तेमाल बिल्कुल स्वीकार्य नहीं  है. उन्होंने कहा कि कुछ लोग धार्मिक और सांस्कृतिक प्रतीकों का अपमान कर रहे हैं, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.


यह जमीन की नहीं, पहचान की लड़ाई है – कुंदरसी मुंडा


आदिवासी नेता कुंदरसी मुंडा ने कहा कि यह विवाद सिर्फ जमीन का नहीं, बल्कि आदिवासी पहचान  से जुड़ा है. उन्होंने कहा कि ईसाई और सरना आदिवासियों की पूजा-पद्धति और सांस्कृतिक परंपराएं पूरी तरह भिन्न हैं. इस विवाद को आपसी संवाद और सामूहिक पहल  से सुलझाया जाना चाहिए.
इस मौके पर कांके सरना समिति के अध्यक्ष डब्लू मुंडा, चडरी सरना समिति से रवि मुंडा, अमित मुंडा, आदिवासी मूलवासी संघ के अध्यक्ष सूरज टोप्पो सहित सैकड़ों आदिवासी प्रतिनिधि  उपस्थित थे.

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