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गिरिडीह : खंडोली डैम में जल समाधि देने पहुंचे कई ग्रामीण, पुलिस ने बलपूर्वक निकाला बाहर

  • JLKM के बैनर तले खंडोली बचाओ आंदोलन तेज
  • आठ सूत्री मांगों को लेकर प्रशासन पर दबाव
  • 15 दिनों के अंदर मांगे पूरी नहीं होने पर आंदोलन तेज करने की चेतावनी

Giridih :   JLKM के बैनर तले सोमवार को सैंकड़ों ग्रामीण खंडोली डैम पहुंचे और आठ सूत्री मांगों को लेकर जल समाधि लेने का प्रयास किया. ग्रामीणों के पानी में उतरते ही पुलिस और प्रशासन हरकत में आ गए.

 

पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की, लेकिन ग्रामीण अपनी मांगों पर अड़े रहे. पुलिस को बल का प्रयोग कर सभी को पानी से बाहर निकालना पड़ा. इस दौरान आंदोलनकारी ग्रामीणों और पुलिस कर्मियों के बीच नोकझोंक भी हुई. 

 

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ग्रामीणों की जमीनों को डैम क्षेत्र में किया जा रहा शामिल

आंदोलनकारी ग्रामीणों का आरोप है कि वर्ष 1992 में जब DVC को जमीन दी गई थी, तब खंडोली डैम का सीमांकन स्पष्ट नहीं किया गया. अब डैम की सीमा बढ़ाकर उनकी जमीन को भी डैम क्षेत्र में शामिल कर लिया गया है.

 

ग्रामीणों का कहना है कि उनकी जमीन प्रशासन ने गलत तरीके से अधिग्रहित की है और जब उन्होंने कागजात मांगे तो जिला प्रशासन की ओर से कोई भी दस्तावेज नहीं दिखाया गया. उनका आरोप है कि स्थानीय लोग अपनी पुश्तैनी जमीन से बेदखल किए जा रहे हैं और सरकार इस पर ध्यान नहीं दे रही. 

आंदोलन तेज करने की चेतावनी

इधर जेएलकेएम नेताओं ने चेतावनी दी है कि यदि प्रशासन ने उनकी मांगों पर सकारात्मक पहल नहीं की तो आने वाले 15 दिनों में ग्रामीण बड़ी संख्या में डैम पहुंचकर जल समाधि की सामुहिक आंदोलनात्मक कार्रवाई करेंगे. इसके लिए उन्होंने व्यापक जनसमर्थन जुटाने की भी घोषणा की है. 

 

प्रशासन को ज्ञापन सौंपा, पर नहीं की गई ठोस पहल

ग्रामीण पहले ही आठ सूत्री मांगों को लेकर जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपा चुके हैं. लेकिन अब तक उनकी किसी भी मांग पर ठोस कार्रवाई नहीं हुई है. इस ज्ञापन में डैम की सीमांकन कर ग्रामीणों की जमीन वापस करने, विस्थापित परिवारों को उचित मुआवजा व पुनर्वास सुविधा देने और भूमि अधिग्रहण से संबंधित सभी दस्तावेज सार्वजनिक किए जाएं जैसी मांगें शामिल हैं.

 

प्रशासन सतर्क, सुरक्षा बढ़ाई गई

जिला प्रशासन ने स्थिति को देखते हुए डैम क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है. प्रशासनिक अधिकारियों ने ग्रामीणों से संयम बरतने की अपील की है. वहीं आंदोलनकारी अपनी मांगों पर अडिग हैं. आने वाले दिनों में यह आंदोलन गिरिडीह जिला प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है. 

 

 

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