Seraikela : स्वतंत्रता सेनानी, प्रख्यात ओड़िया कवि व सामाजिक कार्यकर्ता उत्कलमणि पं. गोपबंधु दास की पुण्य तिथि शुक्रवार को सादगी के साथ मनाई गई. खरसावां व सरायकेला में अलग अलग कार्यक्रम आयोजित कर उत्कलमणि पं. गोपबंधु दास की प्रतिमा पर माल्यापर्ण किया गया. इस दौरान सभी लोगों ने उत्कलमणि पं. गोपबंधु दास के बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया. साथ ही भाषा, साहित्य व संस्कृति के लिए कार्य करने की बात कही.
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खरसावां में राजवाड़ी के पास मनाया गया पं. गोपबंधु दास की पुण्य तिथि
उत्कल सम्मीलनी की सरायकेला-खरसावां जिला समिति की ओर से खरसावां में शुक्रवार को ओड़िया स्वतंत्रता सेनानी उत्कलमणि पं गोपबंधु दास की पुण्य तिथि मनाई गई. ओड़िया समुदाय के लोगों ने खरसावां राजवाड़ी के सामने स्थित पं. उत्कलमणी गोपबंधु दास की प्रतिमा पर माल्यर्पण कर उनके बताये मार्ग पर चलने का संकल्प लिया. मौके पर स्वतंत्रता आंदोलन, समाजसेवा, ओड़िया भाषा-साहित्य व शिक्षा के क्षेत्र में उत्कलमणि पं गोपबंधु दास के योगदान को याद किया गया. उत्कल सम्मीलनी के जिलाध्यक्ष हरिश चंद्र आचार्य, उपाध्यक्ष सुमंत चंद्र मोहंती, जिला महासचिव सह परिदर्शक सुशील षाडंगी, विजय महतो, सुभेंदु सतपथी, बिरोजा पति, रंजीत मंडल, सपन मंडल, भरत चंद्र मिश्रा, अजय प्रधान, जयजीत षाडंगी, शिव चरण महतो, चंद्रभानु प्रधान आदि ने माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की.
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पंडित गोपबंधु दास के कार्यों को हमेशा याद किया जाएगा : आचार्या
उत्कल सम्मीलनी के जिलाध्यक्ष हरिश चंद्र आचार्य ने कहा कि पं. गोपबंधु दास द्वारा भाषा, साहित्य व संस्कृति के उत्थान के लिये किये गये कार्य को लंबे समय तक याद किया जाता रहेगा. उन्होंने कहा कि भाषा, साहित्य, संस्कृति ही हमारी पहचान है. इसके उत्थान के लिये हम सभी को संगठित हो कर कार्य करना होगा. पंडित जी के लेखनी में राष्ट्रीयता व राष्ट्र प्रेम झलकती थी.
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पं. गोपबंधु दास के विचार हमेशा प्रासंगिक बने रहेंगे : सुशील षाडंगी
सुशील षाडंगी ने कहा कि पं. गोपबंधु दास के विचार सिंहभूम में हमेशा प्रासंगिक बने रहेंगे. पं. गोपबंधु दास के बताए मार्ग पर चल कर ही हम अपनी भाषा, संस्कृति व साहित्य को सशक्त कर सकते है. पं गोपबंधु दास के आदर्शों को अपना कर आत्मशात करने की आवश्यकता है.
सरायकेला में पं. गोपबंधु दास को दी गई श्रद्धांजलि
सरायकेला में ओड़िया समुदाय के लोगों ने पंडित उत्कलमणी गोपबंधु दास की पुण्य तिथि पर उनके प्रतिमा पर माल्यर्पण किया. पं. गोपबंधु दास को श्रद्धांजलि देते हुए उनके द्वारा किए गए कार्यों को स्मरण किया गया. वक्ताओं ने पं. गोपबंधु दास को महान स्वतंत्रता सेनानी, समाजसेवी, भाषाविद व कवि बताया. सरायकेला में पं. गोपबंधु दास को श्रद्धांजलि देने वालों में मुख्य रुप से सुदीप पटनायक, बद्री दारोघा, चिरंजीवी महापात्र, परशुराम कबि, रीता दुबे, निलकंठ षाडगी, पवन कबि, काशीनाथ कर, बबलू साहू, अज्जु षाडंगी, मनोज षडंगी, धीरु षडंगी आदि शामिल थे.
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कौन थे उत्कलमणी गोपबंधु दास
समाज सेवी पं. गोपबंधु दास का जन्म ओड़िशा के सुआंडो ग्राम में नौ अक्टूबर 1877 को हुआ था. तथा उनका निधन 17 जून 1928 को हुआ था. पं. गोपबंधु दास अपने जीवन काल में हमेशा ओड़िया भाषा, साहित्य व संस्कृति को सशक्त बनाने के साथ-साथ लोगों की सेवा करने में तत्पर रहे. पं गोपबंधु दास भाषा प्रेमी, समाजसेवी, लेखक के साथ वे स्वतंत्रता सेनानी भी थे. स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लेते हुए कई बार जेल गये. पंड़ित जी ने ओड़िया में सैकड़ों किताबें लिखी थी.
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