New Delhi : दो-तीन दिनों से जारी इंडिगो संकट से हजारों यात्री परेशान हैं. पिछले तीन दिनों में 2500 से अधिक उड़ानें रद्द हुई हैं. अन्य विमानन कंपनियां इसका फायदा उठाने में लग गयी हैं.
वर्तमान में इंडिगो देश की सबसे बड़ी एयरलाइन है. जान लें कि इंडिगो का परिचालन संकट तकनीकी समस्या और क्रू की कमी के कारण उत्पन्न हुआ है. इंडिगो के ग्राउंडेड होने का सीधा असर हवाई किरायों पर पड़ा है.
ट्रैवल पोर्टल्स और बुकिंग वेबसाइटों के ताजा आंकड़ों के अनुसार जिन रूट्स पर इंडिगो का दबदबा था, वहां का किराया आसमान छू रहा है. खबर है कि घरेलू मार्गों का किराया लंदन और पेरिस के टिकटों से भी महंगा हो गया है.
दरअसल इंडिगो के पास घरेलू बाजार की 60फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी है. इंडिगो की उड़ानें रद्द होने से सारा सिस्टम बैठ गया है. आम दिनों में 6 -8 हजार रुपये में मिलने वाले टिकट अब 50 -60 हजार रुपये की कीमत छू रहे हैं.
कोलकाता, मुंबई, उदयपुर, पटना और दिल्ली सर्वाधिक प्रभावित होने वाले रूट हैं. कई शहरों के लिए स्पॉट फेयर में 800फीसदी तक का इजाफा देखा जा रहा है.
दिल्ली-मुंबई का जो टिकट आमतौर पर 7,000 रुपये के आसपास मिलता था, वह अब 70,000 रुपये तक पहुंच गया है. दिल्ली-पटना के लिए सामान्य दिनों में 5,000 रुपये में बिकने वाला टिकट 47,000 रुपये के पार चला गया है.
आर्थिक विशेषज्ञों के अनुसार यह मामला महज उड़ानों के कैंसल होने तक सीमित नहीं है. विशेषज्ञ इसे डायनामिक प्राइसिंग एल्गोरिदम का असर बता रहे हैं. इंडिगो द्वारा एक ही दिन में सैकड़ों उड़ानें रद्द की गयीं. इसका मतलब हजारों सीटें सिस्टम से बाहर हो गयी.
इन सीटों को विस्तारा और एयर इंडिया सहित अन्य एयरलाइंस के लिए एडजस्ट करना मुश्किल हैं. क्योंकि इनके पास सीमित सीटें हैं. कहा कि जब यात्री रद्द की गयी इंडिगो फ्लाइट की जगह अन्य फ्लाइट तलाशते हैं तो एल्गोरिदम मांग में भारी उछाल आ जाता है. और यह कीमतों को स्वचालित रूप से अधिकतम स्तर तक पहुंचा देता है.
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