NewDelhi : कोरोना महामारी के चलते देश के विभिन्न राज्यों में लॉकडाउन जैसी स्थिति है. ऐसे में शहरी इलाकों में बेरोज़गारी बढ़ रही है. प्राइवेट थिंक टैंक CMIE की रिपोर्ट के अनुसार ऐसे हालात में देश की अर्थव्यवस्था अब पर्याप्त रोज़गार नहीं दे सकती. खबर है कि लॉकडाउन से लगभग अछूते रहे कृषि क्षेत्र में भी अप्रैल में बड़ी संख्या में लोगों का रोज़गार छिन गया हैं.
अप्रैल में देश की बेरोज़गारी दर आठ फीसदी पर पहुंच गयी है. कोरोना की दूसरी लहर के दौरान विभिन्न राज्यों में लगे लॉकडाउन से बेरोजगारी बढ़ने का अनुमान सोच से भी ज्यादा है. बता दें कि मार्च में देश की बेरोज़गारी दर 6.5 फीसदी थी. CMIE (Center for Monitoring Indian Economy) की रिपोर्ट के अनुसार रोजगार की दर मार्च के 37.6 फीसदी से गिरकर अप्रैल में 36.8 फीसदी पर आ गयी है.
अर्थव्यवस्था में रोजगार देने की ताकत नहीं रही
CMIE के प्रमुख महेश व्यास ने अपने लेख Job losses mount in April में कहा है कि लेबर मार्केट से अप्रैल 2021 में 11 लाख लोग कम हो गये. श्रम बाजार में श्रमिकों की उपलब्धता अप्रैल में 42.46 करोड़ रह गयी जो मार्च में 42.58 करोड़ थी.
CMIE के हिसाब से लॉकडाउन लोगों को रोज़गार की तलाश करने से रोक सकता है और इससे लेबर मार्केट में श्रम भागीदारी में कमी आ सकती है. लेकिन CMIE के प्रमुख महेश व्यास कहते हैं,
देश की अर्थव्यवस्था अभी उन लोगों को भी पर्याप्त संख्या में रोज़गार नहीं दे सकती है जो रोज़गार चाहते हैं. ऐसे में लेबर मार्केट की ये स्थिति पूरी तरह देश में लगे आंशिक लॉकडाउन की वजह से नहीं है, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था सामान्य शब्दों में अभी उन लोगों को बड़ी संख्या में रोज़गार नहीं दे सकती जो रोज़गार चाहते हैं.
छिन गयी 73 लाख से अधिक की रोजी-रोटी
CMIE के अनुमान के अनुसार अप्रैल में सिर्फ लेबर मार्केट से 11 लाख लोग कम नहीं हुए. बल्कि इस दौरान 73.5 लाख लोगों का रोज़गार छिना भी है. मार्च में काम-धंधे से लगे लोगों की संख्या 39.8 करोड़ थी.अप्रैल में यह घटकर 39.07 करोड़ रह गयी. CMIE के आंकड़ों के अनुसार जो लोग नौकरी करना चाहते हैं और सक्रिय तौर पर इसकी तलाश कर रहे हैं लेकिन रोज़गार पाने में असफल रहे हैं, ऐसे बेरोज़गारों की संख्या अप्रैल में 3.39 करोड़ रही जो मार्च में 2.77 करोड़ थी. इस तरह के बेरोज़गारों की संख्या 62 लाख रही.
कृषि क्षेत्र में 60 लाख लोगों का रोजगार गया
CMIE के आंकड़ों पर नजर डालें तो अप्रैल में जिन 73.5 लाख लोगों का काम-धंधा छिन गया उनमें से 60 लाख लोग कृषि क्षेत्र से जुड़े रहे हैं. इसलिए रोज़गार में कमी के लिए पूरी तरह लॉकडाउन को वजह नहीं ठहराया जा सकता. क्योंकि कृषि क्षेत्र पर लॉकडाउन का असर नहीं पड़ा है. वैसे कृषि क्षेत्र में अप्रैल माह मंदा ही रहता है क्योंकि इस दौरान रबी की फसल की कटाई हो जाती है और खरीफ की फसल की तैयारी मई से शुरू होती है. CMIE के अनुसार मार्च में इस सेक्टर में 12 करोड़ लोगों को रोजगार मिला, जो अप्रैल में घटकर 11.4 करोड़ रह गया.