Ranchi: चाईबासा, रांची और कोडरमा में थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को HIV संक्रमित रक्त चढ़ाए जाने की घटनाओं तथा स्वास्थ्य विभाग द्वारा ब्लड रिप्लेसमेंट व्यवस्था बंद करने के आदेश के विरोध में मंगलवार को राजधानी के मोरहाबादी स्थित बापू वाटिका में थैलेसीमिया पीड़ितों के परिजन, रक्तदान संगठन, सामाजिक कार्यकर्ता और रक्तवीरों ने मौन धरना दिया.

धरना झारखंड थैलेसीमिया पीड़ित एसोसिएशन, लहू बोलेगा रक्तदान संगठन रांची और झारखंड राज्य स्वैच्छिक रक्तदान संगठन कोऑर्डिनेशन कमेटी द्वारा आयोजित किया गया. नदीम खान, सपन कुमार महतो, पॉवेल कुमार, संजय टोप्पो और देवकी देवी सहित कई पीड़ित और रक्तवीर इसमें शामिल रहे.
प्रदर्शनकारियों का कहना था कि स्वास्थ्य विभाग के हालिया आदेश से रक्त संकट गहरा गया है और यह निर्णय थैलेसीमिया मरीजों के जीवन के लिए खतरा बन गया है.
थैलेसीमिया क्या है
यह एक अनुवांशिक रक्त रोग है, जिसमें मरीज के शरीर में स्वस्थ रक्त कोशिकाएं नहीं बन पातीं. ऐसे मरीजों को हर माह दो से तीन बार रक्त चढ़ाना पड़ता है, अन्यथा जान को खतरा रहता है.
कुर्मी संस्कृति विकास समिति के अध्यक्ष सपन महतो ने कहा कि उनके आकलन के अनुसार राज्य में लगभग 11 हजार थैलेसीमिया मरीज हैं. इन्हें हर माह नियमित रक्त की जरूरत होती है. उन्होंने कहा कि विभाग के आदेश के बाद रक्त उपलब्धता संकट में है.
यदि 10 हजार यूनिट रक्त की जरूरत होती है तो 5 हजार से अधिक यूनिट ब्लड रिप्लेसमेंट के माध्यम से आता है, जबकि इससे कम रक्त स्वैच्छिक रक्तदान शिविरों से मिलता है. 30 अक्टूबर को जारी आदेश के बाद स्थिति और गंभीर हो गई है और कई थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को समय पर रक्त नहीं मिल पा रहा है.
पीड़ित बच्चों के परिजनों ने कहा कि उनके बच्चे पहले से ही गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं. चाईबासा की घटना के बाद अब हर बार डर बना रहता है कि रक्त सुरक्षित मिलेगा या नहीं. उन्होंने कहा कि सरकार को मरीजों की जरूरत और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए नीति बनानी चाहिए.
इधर, 3 नवंबर को स्वास्थ्य विभाग द्वारा आयोजित स्टेट ब्लड ट्रांसफ्यूजन काउंसिल की बैठक में अपर मुख्य सचिव अजय कुमार सिंह ने घोषणा की कि 12 से 28 नवंबर तक राज्यव्यापी स्वैच्छिक रक्तदान अभियान चलाया जाएगा. उन्होंने स्कूल-कॉलेजों और सामाजिक संगठनों से इस अभियान को सफल बनाने की अपील की.
धरना देने वालों ने सरकार से मांग की कि ब्लड रिप्लेसमेंट पर रोक के निर्णय की पुनर्समीक्षा की जाए, सुरक्षित रक्त की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए और थैलेसीमिया मरीजों के लिए तत्काल नीति व वैकल्पिक व्यवस्था बनाई जाए.



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