Ranchi : झारखंड में हेमंत सोरेन सरकार के एक वर्ष पूरे होने पर आजसू पार्टी ने सरकार पर तीखा प्रहार किया है. मुख्य प्रवक्ता डॉ. देवशरण भगत ने कहा कि सिर्फ पिछले एक साल ही नहीं, बल्कि बीते छह वर्ष राज्य के लिए “काले अध्याय” जैसे रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि पूरे राज्य में शासन तंत्र चरमरा गया है और विकास कार्य लगभग पूरी तरह ठप पड़े हैं.
डॉ. भगत ने दावा किया कि राज्य भर में जमीन, कोयला और बालू माफिया का वर्चस्व बढ़ गया है और कानून व्यवस्था की स्थिति चिंताजनक है. उन्होंने यहां तक आरोप लगाया कि राज्य के डीजीपी पर एक कुख्यात अपराधी को संरक्षण देने की शिकायतें सामने आई हैं, जो सरकार की नाकामी को उजागर करती हैं.
गरीबों और युवाओं के मुद्दे को उठाते हुए प्रवक्ता ने कहा कि सरकार अपने बड़े-बड़े वादों को पूरा करने में असफल रही है. गरीबों को मकान नहीं मिला और युवाओं को न तो 5 लाख नौकरियां मिलीं और न ही छात्रवृत्ति संबंधी समस्याओं का समाधान किया गया.
उन्होंने कहा कि वित्तीय स्थिति भी बदहाल है, केंद्र से मिली हजारों करोड़ की राशि का उपयोग ठीक से नहीं हुआ और अधिकांश योजनाएं सिर्फ फाइलों तक सीमित रह गईं. मनरेगा और डीएमटी फंड जैसी योजनाओं में भी भारी भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए. सरकारी कोष खाली होने से कर्मचारियों को समय पर वेतन न मिलने की बात भी कही.
उन्होंने आरोप लगाया कि हेमंत सरकार में भ्रष्टाचार एक “व्यवस्था” बन गया है और समाज को बांटने की राजनीति की जा रही है, जिससे सामाजिक सौहार्द प्रभावित हो रहा है. महिलाओं और किसानों के मुद्दे भी उपेक्षित हैं, और मंईयां योजना के भुगतान में देरी इसका उदाहरण है.
आजसू ने यह भी कहा कि सरकार तीन वर्षों से नगर निकाय चुनाव जानबूझकर टाल रही है और ओबीसी आरक्षण पर स्पष्ट रुख नहीं अपना रही. महिला आयोग, युवा आयोग, सूचना आयोग और कई बोर्ड-निगम खाली पड़े हैं, जबकि पिछड़ा आयोग का गठन भी आजसू के दबाव में पूरा किया गया. झारखंड आंदोलनकारियों के चिन्हितिकरण में भी गड़बड़ियों की शिकायतें सामने आई हैं.
कानून-व्यवस्था पर निशाना साधते हुए डॉ. भगत ने कहा कि पिछले वर्ष अपराधों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है. दुष्कर्म, हत्या, लूट और मॉब लिंचिंग की घटनाएं बढ़ी हैं, लेकिन सरकार अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने में नाकाम रही है. उन्होंने कहा कि पुलिस भी कई मामलों में माफियाओं के दबाव में काम करती दिखाई दे रही है.
आदिवासी मुद्दों पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि हेमंत सरकार ने जल-जंगल-जमीन और 1932 के खतियान जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर लोगों को धोखा दिया है. CNT-SPT एक्ट में संशोधन, विस्थापन नीति और युवाओं को रोजगार देने के वादे पूरे नहीं हुए. अवैध खनन और बालू माफिया सक्रिय हैं, जबकि आदिवासी युवा बेरोजगारी से जूझ रहे हैं.
डॉ. भगत ने सरकार के अधूरे वादों की सूची गिनाते हुए कहा कि हर प्रखंड में कंप्यूटर प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करने और झारखंड के सात जिलों को 25 हजार करोड़ की लागत से विश्वस्तरीय शहर के रूप में विकसित करने जैसे वादे भी केवल कागजों पर रह गए. स्थानीय लोगों को 25 करोड़ तक के टेंडर देने की घोषणा भी धरातल पर नहीं उतरी.
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