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सोनिया गांधी ने द हिंदू में  लेख लिखा, फिलीस्तीन मुद्दे पर मोदी सरकार के रुख की आलोचना की

New Delhi :  कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने द हिंदू में  भारत की दबी हुई आवाज, फ़िलिस्तीन से उसका अलगाव है. शीर्षक से एक लेख लिखा है. सोनिया गांधी ने फिलीस्तीन के मुद्दे पर केंद्र की  मोदी सरकार के रुख की आलोचना की. कहा कि भारत को नेतृत्व का परिचय देना चाहिए.

 "India's historical experience, its moral authority and its commitment to human rights should empower it to speak, advocate and act in favour of justice - without delay or hesitation. The expectation is not of partisanship in this conflict, of choosing between Israel and… pic.twitter.com/AjQiiqU1cN

 

उन्होंने फिलिस्तीन के मुद्दे पर सरकार की प्रतिक्रिया और गहरी चुप्पी को मानवता एवं नैतिकता, दोनों का परित्याग करार दिया. अपने आर्टिकल में सोनिया गांधी ने लिखा, सरकार(मोदी) के कदम मुख्य रूप से भारत के संवैधानिक मूल्यों या उसके सामरिक हितों के बजाय इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और प्रधानमंत्री मोदी की व्यक्तिगत मित्रता से प्रेरित प्रतीत होते हैं.

 


सोनिया गांधी के लेख के अनुसार मोदी की व्यक्तिगत कूटनीति की यह शैली हमें कभी भी स्वीकार्य नहीं है. यह भारत की विदेश नीति का मार्गदर्शन नहीं कर सकती.  उन्होंने अमेरिका का जिक्र करते हुए लिखा कि दुनिया के अन्य हिस्सों में खासकर अमेरिका में ऐसा करने के प्रयास हाल के महीनों में दुखद और अपमानजनक तरीके से विफल हुए हैं.  

 

सोनिया गांधी ने अपने लेख में याद दिलाया कि फ्रांस, ब्रिटेन, कनाडा, पुर्तगाल और ऑस्ट्रेलिया ने  फिलीस्तीन राष्ट्र को मान्यता दे दी है. जिक्र किया कि संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देशों में से 150 से अधिक देश अब तक ऐसा कर चुके है. सोनिया गांधी ने कहा,  भारत  ने फिलीस्तीन मुक्ति संगठन (पीएलओ) का वर्षों तक समर्थन किया. इसके बाद 18 नवंबर, 1988 को औपचारिक रूप से फलस्तीनी राष्ट्र को मान्यता भारत ने दी थी.

 


सोनिया गांधी ने अपने लेख में याद दिलाया कि किस तरह से भारत ने आजादी से पहले दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद का मुद्दा उठाया था. इसके अलावा अल्जीरियाई स्वतंत्रता संग्राम (1954-62) के दौरान  भारत स्वतंत्र अल्जीरिया की   सबसे मजबूत आवाजों में शामिल था. . उन्होंने यह भी कहा कि 1971 में भारत ने तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान में हस्तक्षेप कर नरसंहार को रोका, जिससे आधुनिक बांग्लादेश का जन्म हुआ.

 


सोनिया गांधी ने लिखा कि इजराइल-फलस्तीन के महत्वपूर्ण और संवेदनशील मुद्दे पर  भारत का लंबे समय से एक संवेदनशील, लेकिन सैद्धांतिक रुख रहा है.  भारत का शांति एवं मानवाधिकारों की रक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता पर जोर रहा है. सोनिया गांधी ने मोदी सरकार से कहा कि भारत को फिलीस्तीन के मुद्दे पर नेतृत्व दिखाने की जरूरत है. यह न्याय, पहचान, सम्मान और मानवाधिकारों की लड़ाई है.

 

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