बंधु को तीन साल की हो चुकी है सजा
गौरतलब है कि 28 मार्च को विशेष न्यायिक आयुक्त और सीबीआई प्रभात कुमार शर्मा की अदालत ने बंधु तिर्की को तीन साल की जेल और तीन लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई थी. कोर्ट ने उन्हें आईपीसी की विभिन्न धाराओं और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत दोषी पाया है. अदालत ने कहा कि बंधु तिर्की ने संपत्ति जुटाने के लिए मधु कोड़ा के नेतृत्व वाली सरकार में विधायक और मंत्री के रूप में अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया. इसे भी पढ़ें – दावा:">https://lagatar.in/claim-9-congress-mlas-against-their-own-ministers-said-will-not-work-according-to-public-interest-will-complain-to-high-command/">दावा:अपने ही मंत्रियों के खिलाफ हुए 9 कांग्रेसी विधायक, कहा- जनहित के काम नहीं कर रहे, करेंगे शिकायत
दो साल की सजा होने पर खत्म हो जाती है विधानसभा की सद्स्यता
कानून के मुताबिक, अगर किसी जनप्रतिनिधि को कम से कम दो साल की कैद की सजा दी जाती है, तो उसकी सदस्यता खत्म हो जाएगी. सद्स्यता खत्म होते ही बंधु तिर्की को चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा. वहीं इस तरह की सजा में उसकी रिहाई के बाद छह साल की और अवधि के लिए अयोग्य घोषित किया जाना जारी रहेगा.आय से अधिक 7.22 लाख रुपये रखने के दोषी साबित हुए हैं बंधु
सीबीआई ने उनके खिलाफ 7.22 लाख रुपये की आय से अधिक संपत्ति रखने का मामला RC5 (A)/2010 दर्ज किया था. सुनवाई के दौरान सीबीआई ने 21 गवाह पेश किए, जबकि बंधु तिर्की ने अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए आठ गवाह पेश किए. गौरतलब है कि 2008 में याचिकाकर्ता दुर्गा उरांव ने तत्कालीन मुख्यमंत्री मधु कोड़ा और उनके कैबिनेट मंत्रियों की संपत्ति की जांच के लिए झारखंड हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी. हाईकोर्ट के फैसले के बाद सीबीआई ने विजिलेंस ब्यूरो से जांच अपने हाथ में ली. इसने 2010 में कोड़ा और उनके मंत्रियों के खिलाफ मामले दर्ज किए थे. इसे भी पढ़ें – भारत">https://lagatar.in/over-99-3-of-indias-population-breathes-polluted-air-experts/">भारतकी 99.3% से अधिक आबादी प्रदूषित हवा में सांस लेती है : विशेषज्ञ [wpse_comments_template]

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