- वरीय अफसर दीर्घा में मौजूद रहें
- विधेयक के हिंदी और अंग्रेजी रूपांतरण में किसी तरह की नहीं हो त्रुटि
Ranchi : झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र के सफल संचालन के लिए बुधवार को स्पीकर रवींद्र नाथ महतो ने अफसरों के साथ उच्चस्तरीय बैठक की. बैठक में मुख्य सचिव अविनाश कुमार सहित कई आला अफसर मौजूद रहे.
स्पीकर ने अफसरों को कई कई अहम निर्देश दिए. कहा कि अधिकारियों का उदासीन रवैया स्वीकार्य नहीं होगा. उन्होंने कहा कि "सदन को सुचारू रूप से चलाने की जिम्मेदारी सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों की है. मुझे उम्मीद है कि सत्र में जनहित के मुद्दों पर सार्थक चर्चा होगी.
अफसर सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करें
स्पीकर ने कहा कि सत्र के दौरान अफसर सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करें. किसी तरह की तकनीकी बाधा न आने दें. सदन में रखे जाने वाले विधेयक की पूरी जांच कर लें. विधेयक के हिंदी और अंग्रेजी रूपांतरण में किसी भी तरह की त्रुटि नहीं होनी चाहिए.
पक्ष- विपक्ष मिलकर इसे सार्थक बनाएं
संसदीय कार्यमंत्री ने कहा कि शीतकालीन सत्र की अवधि कम है. लेकिन पक्ष- विपक्ष मिलकर इसे सार्थक बनाएंगे तो इसका लाभ जनता को मिलेगा. उन्होंने उम्मीद जताई की सत्र के संचालन में विपक्ष का भी पूरा सहयोग मिलेगा.
पक्ष और विपक्ष होंगे आमने-सामने
झारखंड विधानसभा का शीतकालीन सत्र पांच दिसंबर से शुरू होगा. इसमें कुल पांच कार्य दिवस होंगे. सत्र के दौरान सरकार अपने कार्यों का रिपोर्ट कार्ड पेश करेगी. वहीं, विपक्ष सरकार को घेरने की तैयारी में है. सरकार के एक साल पूरे होने पर भाजपा द्वारा जारी आरोप पत्र के आधार पर पार्टी सदन में मुखर होगी. वहीं, कांग्रेस विपक्ष की संभावित रणनीति का मुकाबला करने और विभागीय तैयारियों के आकलन पर जोर देगी. जबकि झामुमो गठबंधन के भीतर समन्वय को मजबूत करने और विपक्षी सवालों के तत्पर व प्रभावी जवाब तैयार करने पर जोर देगी.
किस दल की बैठक कब
• चार दिसंबर को कांग्रेस विधायक दल की बैठक होगी. इसमें कांग्रेस प्रभारी, प्रदेश अध्यक्ष सहित पार्टी के विधायक शामिल होंगे.
• चार दिसंबर को महागठबंधन (झामुमो-कांग्रेस और राजद) की बैठक शाम साढ़े चार बजे से एटीआई में सीएम हेंमंत सोरेन की अध्यक्षता में होगी.
• भाजपा विधायक दल की बैठक सात दिसंबर को होगी.
शीतकाली सत्र की फैक्ट फाइल
• 5 दिसंबर से 11 दिसंबर तक सत्र चलेगा, कुल पांच कार्यदिवस होंगे.
• 8 दिसंबर को अनुपूरक बजट पेश होगा.
• चार दिनों तक प्रश्नकाल चलेगा.
• सत्र के दौरान कई महत्वपूर्ण विधेयकों पर चर्चा होगी
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