Ranchi : झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय के अंतर्राष्ट्रीय संबंध विभाग द्वारा आयोजित विशेष व्याख्यान शृंखला के अंतर्गत शुक्रवार को 'विश्वसनीयता का संकट: दुष्प्रचार, जन–धारणा एवं आधुनिक कूटनीति' विषय पर एक सारगर्भित व्याख्यान का आयोजन किया गया. जन-संचार विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ देवव्रत सिंह इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में आमंत्रित थे.
डॉ सिंह ने अपने व्याख्यान में संचार के ऐतिहासिक महत्व और उसकी भूमिका पर प्रकाश डालते हुए आधुनिक विश्व समाज में इसके बदलते स्वरूप और बढ़ती चुनौतियों को रेखांकित किया. उन्होंने कहा कि जिस प्रकार कोयला और पेट्रोलियम ने एक समय में विश्व की शक्ति-संरचना को परिभाषित किया था, ठीक उसी प्रकार आज की दुनिया सूचना और उसके प्रभावी नियंत्रण के माध्यम से संचालित हो रही है.
उन्होंने मीडिया द्वारा जन-धारणा निर्माण की प्रक्रिया को विस्तार से समझाते हुए बताया कि यह प्रक्रिया न केवल सामाजिक स्थिरता को प्रभावित करती है, बल्कि राष्ट्रों के बीच संबंधों की दिशा भी तय करती है.
उदाहरण स्वरूप उन्होंने नेपाल के विद्रोह की घटनाओं को विभिन्न देशों के मीडिया द्वारा प्रस्तुत किए गए भिन्न-भिन्न दृष्टिकोणों का उल्लेख करते हुए बताया कि किस प्रकार एक ही घटना की छवि अलग-अलग बना दी जाती है.
डॉ सिंह ने इस संकट के समाधान के रूप में मीडिया और तकनीकी साक्षरता को अत्यंत आवश्यक बताया. उन्होंने सुझाव दिया कि सूचना के स्रोतों की पहचान, सामग्री की प्रमाणिकता की जांच और डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देकर इस चुनौती से प्रभावी ढंग से निपटाया जा सकता है.
इस अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय संबंध विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ अपर्णा, डॉ अशोक निमेष, डॉ बिभूति भूषण बिस्वास, डॉ सुभाष कुमार बैठा, तथा विभागाध्यक्ष डॉ आलोक कुमार गुप्ता समेत बड़ी संख्या में विद्यार्थी और शोधार्थी उपस्थित रहे.
कार्यक्रम का संचालन बिन्नी कुमारी ने किया और अंत में विभाग की ओर से डॉ बिस्वास ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया, जिसके उपरांत इस व्याख्यान श्रृंखला की औपचारिक समाप्ति की घोषणा की गई.
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