Ranchi : झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय (सीयूजे) के मानव विज्ञान एवं जनजातीय अध्ययन विभाग (डीएटीएस) द्वारा जनजातीय गौरव वर्ष समारोह (2024-2025) के अंतर्गत मानव विज्ञान एवं जनजातीय अध्ययन में करियर विषय पर एक विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया.
इस अवसर पर भारतीय मानव विज्ञान सर्वेक्षण (रांची फील्ड स्टेशन) के प्रमुख डॉ राजकिशोर महतो मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहे. कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्कृति अध्ययन संकाय के डीन एवं डीएटीएस के प्रमुख प्रो रवींद्रनाथ सरमा ने की.
इस व्याख्यान का आयोजन भारतीय मानव विज्ञान सर्वेक्षण के क्षेत्रीय केंद्र, लुप्तप्राय भाषा केंद्र, स्वदेशी ज्ञान एवं सतत विकास केंद्र, समान अवसर प्रकोष्ठ और राष्ट्रीय कैडेट कोर (NCC), सीयूजे के सहयोग से किया गया. इस अवसर पर विभाग के अन्य संकाय सदस्य प्रो सुचेता सेन चौधरी, डॉ शमशेर आलम और डॉ एम रामकृष्णन भी उपस्थित रहे.
डॉ महतो ने अपने व्याख्यान में मानव विज्ञान और जनजातीय अध्ययन के क्षेत्र में करियर की विस्तृत संभावनाओं पर प्रकाश डाला. उन्होंने बताया कि कैसे यह विषय न केवल शैक्षणिक क्षेत्र में बल्कि नीति-निर्माण, जनजातीय कल्याण, सांस्कृतिक विरासत प्रबंधन, और फॉरेंसिक विज्ञान जैसे विविध क्षेत्रों में रोजगार के अवसर उपलब्ध कराता है.
यूनेस्को, डब्ल्यूएचओ, आईसीएसएसआर, और एएनएसआई जैसे संस्थानों में मानवविज्ञानियों की विशेष भूमिका होती है. उन्होंने यह भी बताया कि हाल के वर्षों में कॉर्पोरेट जगत में भी मानव विज्ञान की माँग बढ़ी है, खासकर यूज़र एक्सपीरियंस (UX) अनुसंधान, उपभोक्ता व्यवहार अध्ययन, और संगठनात्मक संस्कृति में.
डॉ महतो ने क्षेत्रीय कार्य को मानव विज्ञान की रीढ़ बताते हुए बताया कि इसमें अवलोकन, साक्षात्कार, प्रश्नावली, और एमिक-एटिक दृष्टिकोण जैसी विधियां प्रमुख हैं. उन्होंने छात्रों को समूह चर्चाओं में भाग लेने और आत्मविश्वास के साथ ज्ञान अर्जन की दिशा में अग्रसर होने के लिए प्रेरित किया.
कार्यक्रम के समापन पर प्रो रवींद्रनाथ सरमा ने मानव विज्ञान को पौराणिक कथाओं, विचारधाराओं और तकनीकी नवाचारों से जोड़ते हुए बताया कि यह विषय न केवल सांस्कृतिक समझ को बढ़ाता है, बल्कि समावेशन और स्थायी विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
पौराणिक कथाएं हमारी पहचान और सांस्कृतिक मूल्य प्रणाली का हिस्सा हैं. वहींं विचारधाराएं समाज की संरचना और नीति निर्धारण को प्रभावित करती हैं.
कार्यक्रम में अन्य संकाय सदस्यों ने भी अपने अनुभव साझा किए और छात्रों को मानव विज्ञान के क्षेत्र में उपलब्ध संसाधनों और अवसरों का भरपूर उपयोग करने के लिए प्रेरित किया. व्याख्यान में छात्रों की उत्साहपूर्ण भागीदारी देखने को मिली जिसने इसे एक सार्थक और प्रेरणादायक सत्र बना दिया.
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