Search

ब्यूरोक्रेट्स की पीड़ा- जो हम पर है गुजरी हमीं जानते हैं, सितम....

Ranchi:  इन दिनों IAS विनय चौबे चर्चा में हैं. वह पहले भी चर्चा में रहे हैं. पहले उनकी चर्चा की वजह सत्ता से करीबी और ताकत हुआ करती थी. लेकिन जब से जांच एजेंसिया उनके पीछे पड़ी हैं, चर्चा की वजह ही बदल गयी है. चौबे जी जेल गये. इसके बाद चर्चा उनकी संपत्ति, पत्नी, साला, साली, ससुर (ससुराल) की होने लगी है. यानी वह हीरो से जीरो हो गये हैं.

 

ससुराल पक्ष से गिफ्ट में फ्लैट लेने-देने, साली की कृपा से विदेश घूमने की खबर पढ़ने के बाद एक ब्यूरोक्रेट्स ने अपनी पीड़ा में मो. रफी का एक गीत गाया- "जो हम पर है गुजरी हमीं जानते हैं, सितम कौन सा है नहीं जो उठाया..". हमने कहा- थोड़ा डिटेल बताईये. क्या तकलीफ है. उन्होंने कहा- पहले घर से बाहर निकलने दीजिये. यह बाहर निकलना उनके टहलते हुए बतियाने की आदत है या फिर गृह लक्ष्मी से दूर होना मकसद, यह समझ नहीं पाया. 


उन्होंने कहा- पत्नी और ससुराल वाले की ठाठ जुटाने का दवाब आप (पत्रकार) लोग समझ ही नहीं सकते. आप नहीं जानते, हम लोगों को कैसे-कैसे, क्या-क्या कहा जाता है? कितना प्रेशर बनाया जाता है? ये लोग (पत्नी) और ससुराल वाले बहुत गलत तरीके से प्रेशर बनाते हैं हम अफसरों पर. ये लोग सबको बरगलाते हैं.


आगे बताया- इनका (पत्नी का) एक get together हम हसबैंड IAS-IPS के लिए काल है. वहां जो दिखता है, वह घर में आकर फटता है. ब्रांडेड पर्स लाओ, फॉरन ट्रिप करवाओ, फ्लैट लो, फार्महाउस लो. तुम क्या IAS/IPS नहीं हो? समर वेकेशन में यहां चलो, विंटर वेकेशन में वहां. पर्सनल गाड़ी के साथ पर्सनल चालक का इंतजाम करो, ससुराल के लोगों का हेल्प करो. इन सबके साथ किसी के नाम का उदाहरण देकर ताना यह कि वो भी तो IAS/IPS है? तुम नहीं हो क्या?


महोदय ने बताया- देश में जहां भी ब्यूरोक्रेट्स को इस तरह पकड़ा जा रहा है, नाम किसका आता है? ससुराल का, पत्नी का, साला का, साली का. माई-बाप-भाई शायद ही कहीं इंवोल्व मिलता है. इसलिए एक बार यह जरुरी है कि IAS-IPS की पत्नी को भी जेल भेजा जाये. यह बहुत जरुरी हो गया है. हम सब परेशान हो गए हैं. 


बहरहाल, विनय चौबे जब से जीरो हुए हैं, वेतन भत्ता के सहारे जिंदगी की गाड़ी खींचने वाले और कई सारे ब्यूरोक्रेट्स ने बड़ी राहत की सांस ली है. क्योंकि अब उन पर अपनी पत्नी के लिए शाही ठाठ जुटाने का दवाब और उससे उपजा दर्द फिलहाल खात्मे के करीब पहुंच गया है. वैसे साहेब लोग जानते हैं कि यह सब ज्यादा दिन तक राहत नहीं देने वाला है.

 
चौबे जी के जीरो होने से पहले तक दबाव और दर्द चरम पर हुआ करता था. इतना कि सांस लेने में घुटन हुआ करती थी. get together से पत्नी को लौटने के बाद जो ताने पड़ते थे, वह कम हो गया. इस get together में देशी कहावत “होनहार बिरवान के होत चिकने पात" के सहारे पति की हैसियत और कमाई का अंदाज लगाया जाता था. 

 

get together से लौटते ही “होनहार बिरवान के चिकने पात" से प्रभावित पत्नी कबीर दास की तरह उल्टी बानी बोलने लगती थी. ब्यूरोक्रेट पति पर नजर पड़ते ही नजरें तिरछी कर “मेरे मियां की सूखे पात" जैसे जुमलों के तीर मारती. लगे हाथ यह भी सुना देती कि फलां के पति को देखो. उसके पति ने तो अपने साले, ससुर सबके लिए क्या नहीं किया. सब के सब मौज में हैं. एक मैं हूं और मेरे घरवाले. गनीमत है कि इसमें वह अपने सास ससुर का नाम नहीं लेती.


इधर, एक नया ट्रेंड शुरु हुआ है. शादी के बाद ब्यूरोक्रेट्स भारी दवाब में अपने संबंधों का इस्तेमाल करके पत्नी को किसी कॉलेज-यूनिवर्सिटी से बी-एड, एलएलबी करावते हैं. फिर पीएचडी अवॉर्ड सेलिब्रेशन. इस ट्रेंड ने भी कई ब्यूरोक्रेट्स की नींद उड़ा दी है. 


get together से लौटी पत्नी के तीर से घायल ब्यूरोक्रट पति चुप्पी साध लेता. get together के जख्म से ऊबरने के लिए वह भी आलीशान बंगला, फार्म हाउस, मंहगी गाड़ियों के काफिले और नौकरों की जमात के सपने देखने लगता है. कभी कानून के डर से सहमता. कभी यह सोचता की शाही ठाठ वाले तो बहुत हैं. 100 में एक आध को कानून ने जकड़ा. बाकी तो मौज ही मना रहे हैं. 


ज्यादा लोगों को मौज मनाते देख कर वह भी मौज मनाने के लिए नये जमाने का शिष्टाचार समझना शुरु कर देता है. शिष्टाचार की आमदनी पर पर्दा डालने के लिए पत्नी को किसी कंपनी में कागजी निदेशक बनवाता. भ्रष्टाचार को शिष्टाचार समझने की गलती पकड़े जाने पर बेचारा पति जेल की हवा खाता. पत्नी को शायद ही कभी कुछ होता.

Lagatar Media की यह खबर आपको कैसी लगी. नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में अपनी राय साझा करें. 

Comments

Leave a Comment

Follow us on WhatsApp