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विश्न आत्महत्या रोकथाम दिवस : डिजिटल सहानुभूति नहीं, असली साथ जरूरी

  • झारखंड में हर दिन 5-6 लोग करते हैं आत्महत्या
  • भारत में हर दिन औसतन 450 से ज्यादा लोग करते हैं आत्महत्या

Ranchi :  हर साल 10 सितंबर को आत्महत्या रोकथाम दिवस मनाया जाता है. यह दिन हमें याद दिलाता है कि कठिनाइयों का हल आत्महत्या नहीं है. डॉ. सिद्दार्थ ने कहा कि किसी भी समस्या का समाधान आत्महत्या नहीं होता. मानसिक बीमारियों का इलाज संभव है, बस समय पर मदद लेना जरूरी है. 

चैटबॉट्स-एआई पर भरोसा खतरनाक

विशेषज्ञों का मानना है कि आजकल युवा डिजिटल सहानुभूति (चैटबॉट्स/एआई से भावनात्मक सहारा लेना) पर ज्यादा भरोसा करते हैं, जो खतरनाक साबित हो सकता है.  चैटबॉट्स या एआई असली मानवीय भावनाएं नहीं समझते हैं. ऐसे में युवा और ज्यादा अकेलापन महसूस कर सकते हैं, जिससे आत्महत्या का खतरा बढ़ जाता है.

भारत में हर दिन हो रही 450 से ज्यादा आत्महत्याएं

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) के अनुसार, 2021 में भारत में कुल 1,64,033 लोगों ने आत्महत्या की. इस तरह हर दिन औसतन 450 से ज्यादा लोग आत्महत्या करते हैं. देश में आत्महत्या दर लगभग 12.4 प्रति लाख आबादी है. सबसे ज्यादा आत्महत्याएं 18-30 साल के युवा करते हैं. 

 


झारखंड में हर दिन 5-6 लोग करते हैं आत्महत्या

मिली जानकारी के अनुसार, झारखंड में 2021 में 1,825 लोगों ने आत्महत्या की थी. इनमें सबसे ज़्यादा मामले ग्रामीण इलाकों से सामने आए हैं. रांची की बात करें तो यहां 2021 में 523 लोगों ने आत्महत्या की, इसमें 342 पुरुष और 208 महिलाएं शामिल हैं. इस तरह राज्य में हर दिन औसतन 5-6 लोग आत्महत्या करते हैं. 


राज्य सरकार की पहल

झारखंड में 24x7 मानसिक स्वास्थ्य हेल्पलाइन शुरू की गई है.

आने वाले वर्षों में झारखंड टेली-मानस स्वास्थ्य कार्यक्रम को और मजबूत किया जाएगा. 

 

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