NewDelhi : सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन को 1994 के फर्जी जासूसी में फंसाने वाले जिम्मेदार अफसरों के खिलाफ सीबीआई जांच का आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को यह फैसला सुनाया है. सीबीआई को तीन महीने के अंदर जांच पूरी करके रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को देने को कहा गया है.
14 सितंबर, 2018 को तीन सदस्यीय समिति का गठन किया था
बता दें कि 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) डीके जैन की अध्यक्षता में 14 सितंबर, 2018 को तीन सदस्यीय समिति का गठन किया था. साथ ही केरल सरकार को नारायणन के ‘घोर अपमान’ के लिए उन्हें 50 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया था.
जान लें कि समिति ने हाल में अपनी रिपोर्ट सौंपी है. सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को निर्देश दिया है कि जैन कमेटी रिपोर्ट को शुरुआती जांच रिपोर्ट मानते हुए इस मामले की जांच की जाये. रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की जायेगी.
सीबीआई जांच एक बड़ी सफलता है : बी नारायणन
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर इसरो के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायण ने कहा कि सीबीआई जांच एक बड़ी सफलता है, लेकिन मेरे पास कहने को कुछ नहीं है, जब तक मैं जैन कमेटी की रिपोर्ट नहीं देख लेता, तब तक कोई टिप्पणी नहीं कर सकता हूं,
बता दें कि तमिलनाडु के एयरोस्पेस इंजीनियर नंबी नारायणन इसरो के सायरोजेनिक्स विभाग के प्रमुख थे, नवंबर 1994 में नंबी नारायणन पर आरोप लगा कि उन्होंने भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम से जुड़ी कुछ गोपनीय सूचनाएं विदेशी एजेंटों से साझा की थीं. नंबी नारायणन को 1994 में केरल पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था.
वह स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन बनाने में लगे थे. उन पर स्वदेशी तकनीक विदेशियों को बेचने का आरोप लगाया गया. बाद में CBI जांच में यह पूरा मामला झूठा निकला. 1998 में खुद के बेदाग साबित होने के बाद नारायणन ने उन्हें फंसाने वाले पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई के लिए लंबी लड़ाई लड़ी.