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सुप्रीम कोर्ट धर्मांतरण विरोधी कानूनों पर रोक लगाने की मांग वाली याचिकाएं सुनने को तैयार

Suprime Court :  सुप्रीम कोर्ट देश के कई राज्यों में लागू धर्मांतरण विरोधी कानूनों पर रोक लगाने की मांग वाली  याचिकाओं पर विचार करने को तैयार हो गया है.

 

खबर है कि CJI  बीआर गवई और के विनोद चंद्रन की पीठ ने धर्मांतरण विरोधी कानूनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर राज्य सरकारों से चार सप्ताह के भीतर जवाब तलब किया है. SC ने कहा है कि वह इस मामले की अगली सुनवाई छह सप्ताह बाद करेगा. 

 The Supreme Court stated that it will consider a batch of pleas filed seeking a stay on Anti-conversion laws that have been enacted and enforced in various states.

A bench of CJI B.R. Gavai and K. Vinod Chandran sought the response of various State governments to pleas… pic.twitter.com/kEYFhhFqa1

बता दें कि धर्मांतरण विरोधी कानून राजस्थान  उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, उत्तराखंड में लागू हैं और इस कानून में सजा के प्रावधान हैं. धर्मांतरण को रोकने के लिए यूपी सरकार ने 2021 में कानून लागू किया था.

 

इस कानून में बलपूर्वक या धोखे से धर्म परिवर्तन कराने पर 1 से 5 साल की जेल और 15 हजार रुपये का जुर्माने का प्रावधान है. अगर नाबालिग, महिला या अनुसूचित जाति/जनजाति का व्यक्ति का जबरन धर्मांतरण होता है तो  सजा 3 से 10 साल हो सकती है. 


 
गुजरात में 3 से 10 साल तक की कैद और 25 हजार से 50,000 रुपये तक जुर्माना लगाने का प्रावधान है. महिलाओं, नाबालिगों और अनुसूचित जाति/जनजाति के मामले में यह सजा और जुर्माना और ज्यादा है.

 

इस राज्य में  सामूहिक धर्मांतरण के मामले में दो लाख तक का जुर्माना लगेगा. इसी तरह उत्तराखंड,  मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश आदि राज्यों में भी  सजा के कड़े  प्रावधान हैं.

 

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