Ranchi : झारखंड मुक्ति मोर्चा के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने राज्य सरकार द्वारा पेसा नियमावली को स्वीकृति दिए जाने को एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक फैसला बताया है.
उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन सरकार का यह निर्णय राज्य के जनजातीयों और मूलवासियों की पारंपरिक जीवन शैली को मजबूती प्रदान करेगा. नियमावली के लागू होने से जनजातीय समाज का स्वशासन, उनकी संस्कृति और परंपराएं और अधिक सशक्त होंगी.
सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि यह फैसला केवल जनजातीयों के हित में ही नहीं है, बल्कि झारखंड के जल, जंगल और जमीन की रक्षा और सम्मान का भी प्रतीक है.
उन्होंने आरोप लगाया कि जिस तरह भाजपा आदिवासी समाज को कमजोर करने की कोशिश कर रही है, उस परिस्थिति में पेसा नियमावली का लागू होना झारखंड के लिए एक सुखद और दूरगामी परिणाम देने वाला कदम है.
उन्होंने कहा कि बाबूलाल मरांडी, अर्जुन मुंडा और रघुवर दास जैसे नेता मुख्यमंत्री रहे, लेकिन उनके कार्यकाल में पेसा नियमावली को मंजूरी क्यों नहीं दी गई.
सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि हेमंत सोरेन सरकार के पहले कार्यकाल में सरकार को लगातार परेशान किया गया, लेकिन दूसरे कार्यकाल में सरकार बनते ही पेसा नियमावली को मंजूरी देने का साहसिक निर्णय लिया गया.
उन्होंने स्पष्ट किया कि नियमावली के लागू होने के बाद अब ग्राम सभा तय करेगी कि गांव की जरूरतें क्या हैं और विकास किस दिशा में होगा. एसी कमरों में बैठकर अधिकारी गांव के फैसले नहीं करेंगे.
गांव के लोग स्वयं अपनी प्राथमिकताएं तय करेंगे और उनके कार्यान्वयन में निर्णायक भूमिका निभाएंगे. उन्होंने कहा कि यह व्यवस्था लोकतंत्र को जमीनी स्तर पर मजबूत करेगी और आदिवासी समाज को वास्तविक अधिकार प्रदान करेगी.
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