Kathmandu : नेपाल की राजनीति में नई सरकार को लेकर हलचल तेज हो गई है. नेपाल सुप्रीम कोर्ट की पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को कार्यवाहक प्रधानमंत्री बनाया जा सकता है. सूत्रों के अनुसार, उनके नाम पर सहमति बन गई है और इस संबंध में संसद के अध्यक्ष को औपचारिक जानकारी भी दे दी गई है.
Gen-Z समूह ने कार्की के नाम का प्रस्ताव रखा
गुरुवार देर रात सेना प्रमुख, राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल और आंदोलनकारी समूहों के बीच चली बैठक बेनतीजा रही. सूत्रों की मानें तो युवाओं के नेतृत्व वाले Gen-Z समूह ने नए प्रधानमंत्री पद के लिए कार्की के नाम का प्रस्ताव रखा है, जिसे व्यापक समर्थन मिलता दिख रहा है. कार्की भ्रष्टाचार विरोधी मुखर आवाज मानी जाती है.
STORY | Ex-chief justice Karki likely to head caretaker government in Nepal
— Press Trust of India (@PTI_News) September 12, 2025
Former Chief Justice Sushila Karki is likely to be appointed as the head of a caretaker government in Nepal, which would conduct fresh elections, addressing the demands of the agitating group, according… pic.twitter.com/JORnV5OfiG
राष्ट्रपति पौडेल से मुलाकात करेंगी कार्की
इस बीच, सुशीला कार्की की राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल से एक अहम मुलाकात तय हुई है. अगर सुशीला कार्की को कार्यवाहक सरकार की बागडोर सौंपी जाती है, तो यह नेपाल के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ होगा. उन्हें नियुक्त करने का उद्देश्य राजनीतिक स्थिरता बहाल करना और पारदर्शी चुनाव की दिशा में देश को आगे ले जाना होगा.
VIDEO | Kathmandu: Visuals from Sheetal Niwas as former Chief Justice of Nepal Sushila Karki is expected to meet President Ramchandra Paudel, amid the resignation of KP Oli as Prime Minister and reports that he has fled Nepal.
— Press Trust of India (@PTI_News) September 12, 2025
The meeting comes amid Gen Z–led protests that have… pic.twitter.com/1EdWzTAqV3
नेपाल की पहली महिला चीफ जस्टिस रही हैं सुशीला कार्की
73 वर्षीय कार्की का जन्म 7 जून 1952 को नेपाल के बिराटनगर में हुआ था. वह अपने माता-पिता की सात संतानों में सबसे बड़ी थीं. शिक्षा के क्षेत्र में उनका सफर उल्लेखनीय रहा है. उन्होंने 1972 में महेंद्र मोरंग कैंपस, बिराटनगर से बीए किया.
1975 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (भारत) से पॉलिटिकल साइंस में मास्टर्स की डिग्री प्राप्त की और 1978 में त्रिभुवन यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई पूरी की. इसके बाद 1979 से उन्होंने वकालत की शुरुआत की.
11 जुलाई 2016 को वे नेपाल सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला चीफ जस्टिस बनीं. हालांकि उनका कार्यकाल महज एक वर्ष का रहा. 30 अप्रैल 2017 को उन पर महाभियोग प्रस्ताव लाया गया, जिसके चलते उन्हें पद से निलंबित कर दिया गया.
अपने न्यायिक कार्यकाल में उन्होंने कई हाई-प्रोफाइल भ्रष्टाचार मामलों में फैसले सुनाए, जिससे वे सत्ता के खिलाफ खड़ी एक मजबूत और निर्भीक आवाज के रूप में उभरीं. खासकर Gen-Z युवाओं के बीच उनकी यह छवि आज उन्हें संभावित नेतृत्वकर्ता के रूप में खड़ा कर रही है.
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