Ranchi : एल्बर्ट एक्का चौक से महज 4 किलोमीटर की दूरी और 300 मीटर की ऊंचाई पर स्थित टैगोर हिल्स, जिसे मोरहाबादी हिल्स भी कहा जाता है. रांची का एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक स्थल है. यह जगह नोबेल पुरस्कार विजेता रवीन्द्रनाथ टैगोर के परिवार से जुड़ी है.
बताया जाता है कि 1912 में उनके बड़े भाई ज्योतिरिंद्रनाथ टैगोर अपनी पत्नी कादंबरी देवी के निधन के बाद यहां आके रहने लगे थे. 1925 में यहीं उनका निधन भी हुआ. तभी से यह स्थल "टैगोर हिल्स" के नाम से प्रसिद्ध है.लेकिन आज इस ऐतिहासिक स्थल की हालत बदहाल है. स्थानीय लोगों और पर्यटकों का कहना है कि यहां की सीढ़ियां जर्जर हो चुकी हैं और बारिश के समय इन पर चढ़ना बेहद खतरनाक हो जाता है. फिसलने और दुर्घटना की आशंका हमेशा बनी रहती है.
इसके अलावा जगह-जगह फैला कूड़ा-कचरा प्लास्टिक की बोतलें, चिप्स के पैकेट और अन्य गंदगी यहां आने वालों की लापरवाही और प्रशासन की उदासीनता को दर्शाता है.सिर्फ सफाई ही नहीं, वहां का वाशरूम भी गंदगी से भरा रहता है. वहीं असामाजिक तत्व दिनदहाड़े नशाखोरी करते देखे जाते हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि न तो उन्हें रोकने वाला कोई है और न ही इसकी निगरानी करने वाला.
जानकारी के अनुसार, रांची के उपायुक्त (DC) ने टैगोर हिल्स के सौंदर्यीकरण के लिए काम शुरू करवाया था. लेकिन स्थानीय निवासियों का आरोप है कि कर्मियों को पेमेंट न मिलने की वजह से यह काम बीच में ही रोक दिया गया.
पहले सही सलामत सीढ़ियों को तोड़कर नई बनाने की योजना थी, लेकिन काम अधूरा छोड़ दिए जाने से अब स्थिति और भी खराब हो गई है. यही नहीं ये जगह नशेड़ियों के नशा करने का अड्डा बन गया है.
इतना ही नहीं, यहां पार्किंग शुल्क भी वसूला जाता है. स्थानीय लोगों का कहना है कि पार्किंग के पैसे तो लिए जाते हैं, लेकिन सुविधा के नाम पर कुछ नहीं है.लोगों का कहना है कि टैगोर हिल्स न केवल रांची की पहचान है, बल्कि यह इतिहास और संस्कृति से भी जुड़ा हुआ है. ऐसे में इस स्थल की दुर्दशा देखना निराशाजनक है. उनका मानना है कि इसकी जिम्मेदारी सिर्फ सरकार या पर्यटन विभाग की ही नहीं बल्कि वहां आने वाले हर व्यक्ति की भी है, ताकि इस धरोहर को स्वच्छ और सुरक्षित रखा जा सके.
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