Ranchi: झारखंड में जल जीवन मिशन (नल-जल योजना) की धीमी प्रगति को देखते हुए राज्य सरकार अब अपने हिस्से की राशि से अधूरे कार्य पूरे करने की तैयारी में है. दरअसल, केंद्र सरकार ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए अब तक अपनी हिस्सेदारी (केंद्रांश) जारी नहीं की है.
इसी वजह से पेयजल एवं स्वच्छता विभाग ने करीब 5533.76 करोड़ रुपये के राज्यांश का उपयोग करने का निर्णय लिया है. इस संबंध में विभाग वित्त विभाग को प्रस्ताव भेजेगा.
केंद्र से नहीं मिला फंड
20 मई को पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री योगेंद्र प्रसाद ने नई दिल्ली में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल से मुलाकात की थी. इस दौरान उन्होंने वित्तीय वर्ष 2025-26 में केंद्रांश जारी करने का अनुरोध किया था. हालांकि फिलहाल केंद्र से कोई फंड जारी नहीं हुआ है.
धीमी रफ्तार से चल रही योजना
15 अगस्त 2019 को शुरू हुई जल जीवन मिशन की कुल लागत 24,665.30 करोड़ रुपये है. इसमें केंद्रांश 12,257.83 करोड़ और राज्यांश 12,407.47 करोड़ रुपये शामिल हैं.
अब तक राज्य को केंद्रांश में 5987.46 करोड़ और राज्यांश में 6873.71 करोड़ रुपये मिल चुके हैं. यानी केंद्रांश के 6270.37 करोड़ और राज्यांश के 5533.76 करोड़ रुपये अभी बाकी हैं.
योजना के तहत झारखंड के 62,53,471 ग्रामीण घरों को शुद्ध पेयजल से जोड़ने का लक्ष्य है. लेकिन अब तक केवल 34,43,143 घरों तक ही नल-जल पहुंच पाया है. यह कुल का सिर्फ 55.06 प्रतिशत है.
2028 तक पूरा करने का लक्ष्य नल-जल योजना को वर्ष 2028 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. विभाग का मानना है कि अगर समय पर फंड उपलब्ध नहीं हुआ तो कार्य और अधिक प्रभावित होंगे. इसलिए फिलहाल अधूरे कार्यों को राज्यांश से पूरा करने की पहल की जा रही है.
क्या कहते हैं मंत्री योगेंद्र प्रसाद
पेयजल एवं स्वच्छता सह उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग ने स्वीकार किया है कि योजना मद में राशि उपलब्ध नहीं होने से कार्य प्रभावित हुए हैं. केंद्र सरकार से राशि जारी करने का आग्रह पूर्व में भी किया गया है.
जल शक्ति मंत्रालय में दो दिनों की बैठक निर्धारित है. हमारा प्रयास है कि जैसे ही केंद्रांश जारी होने की जानकारी मिलेगी, राज्यांश का उपयोग कर सभी कामों को तेजी से पूरा किया जायेगा.
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