New Delhi : देश-दुनिया की प्रमुख आईटी कंपनियों में शुमार टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) ने वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही के नतीजे जारी किये हैं इन आंकड़ों में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि कंपनी के वर्कफोर्स में भारी कटौती की गयी है.
TCS की वेबसाइट पर वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही के जारी आंकड़ों के अनुसार, कंपनी के कर्मचारियों की संख्या जून तिमाही में 6,13,069 थी, जो सितंबर तिमाही में घटकर 5,93,314 रह गयी. यानी केवल तीन महीनों में कंपनी ने कुल 19,755 कर्मचारियों की छंटनी की है. इसका मतलब हुआ औसतन हर महीने 6,585, हर दिन 220 और हर घंटे लगभग 9 कर्मचारियों को कंपनी से निकाला गया.
कंपनी ने इस बदलाव को रीस्ट्रक्चरिंग प्रक्रिया" का हिस्सा करार दिया है. TCS के मुख्य मानव संसाधन अधिकारी सुदीप कुन्नुमल ने बयान जारी कर कहा है कि कंपनी ने हाल ही में एक प्रतिशत (लगभग 6,000) कर्मचारियों को रीस्ट्रक्चरिंग के तहत बाहर किया है.
हालांकि आईटी कर्मचारियों के हित में काम करने वाले संगठन नैसेंट इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एम्प्लॉइज सीनेट (NITES) ने TCS के दावों पर सवाल उठाये हैं. संगठन का आरोप है कि छंटनी की वास्तविक संख्या को कम करके पेश किया जा रहा है.
NITES के अध्यक्ष हरप्रीत सिंह सलूजा ने आरोप लगाया कि कंपनी ने 10-15 वर्षों से कार्यरत वफादार कर्मचारियों को अचानक निकाला, उन्हें इस्तीफे के लिए विवश किया गया और धमकाया गया. उन्होंने कहा है कि यह रीस्ट्रक्चरिंग नहीं, बल्कि कर्मचारियों के प्रति बेरुखी और क्रूरता है. TCS ने मुनाफे को प्राथमिकता देते हुए उन्हीं लोगों को नजरअंदाज किया, जिन्होंने कंपनी को उसकी वर्तमान ऊंचाइयों तक पहुंचाया.
TCS ने जुलाई 2025 में यह संकेत दिया था कि वह इस वित्तीय वर्ष में अपने वैश्विक वर्कफोर्स का लगभग दो प्रतिशत (12,261 कर्मचारी) तक कम करने की योजना बना रही है, जिसमें अधिकतर मिड और सीनियर लेवल के कर्मचारी होंगे. कंपनी का कहना था कि यह कदम भविष्य की जरूरतों के अनुरूप खुद को ढालने की रणनीति का हिस्सा है.
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