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झारखंड में महिला आयोग का न होना एक बड़ा अपराध: राफिया नाज़

Ranchi: प्रदेश भाजपा प्रवक्ता राफिया नाज ने कहा है कि राज्य महिला आयोग का गठन अब तक नहीं हो पाया है. यह न केवल एक प्रशासनिक विफलता है, बल्कि सरकार की महिलाओं के प्रति सोच को भी बेनकाब करता है. अब यह पूरी तरह साफ हो गया है कि सरकार महिला सशक्तिकरण और महिला अधिकारों के मुद्दों को लेकर कतई गंभीर नहीं है.


महिला आयोग के न होने का परिणाम


महिला आयोग के अभाव में आज 5,200 से अधिक मामले लंबित हैं, जिनमें यौन शोषण, घरेलू हिंसा, दहेज उत्पीड़न, बाल विवाह और कार्यस्थल पर उत्पीड़न जैसे गंभीर मामले शामिल हैं. राफिया नाज़ ने बताया कि इन हजारों पीड़िताओं की कोई सुनवाई नहीं हो रही, और उनकी फाइलें सरकारी दफ्तरों में धूल खा रही हैं.


सरकार की असंवेदनशीलता


राफिया ने कहा कि महिला अपराधों के तेजी से निपटारे के लिए विशेष अदालतों की स्थापना की घोषणाएं तो हुईं, परंतु जमीनी स्तर पर कोई ठोस कार्य नहीं हुआ. उन्होंने आगे कहा कि महिला पुलिस पिकेट की स्थापना भी राज्य सरकार की घोषणाओं तक ही सीमित रही है. सरकार केवल नारों और घोषणाओं की राजनीति कर रही है. 


आंकड़े बताते हैं सच्चाई


एनसीआरबी के आंकड़ों का हवाला देते हुए राफिया ने बताया कि साल 2023 में झारखंड में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 6,313 मामले दर्ज हुए, जिसमें बलात्कार के 1,052, छेड़छाड़ के 1,498 और दहेज से जुड़े 890 मामले शामिल हैं. यह चिंता की बात है कि इनमें से आधे से अधिक मामलों में अब तक चार्जशीट दाखिल नहीं की गई है.

 

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