LagatarDesk : आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिवसीय बैठक आज 8 जून को समाप्त हो गयी. जो 6 जून को शुरू हुई थी. बैठक के बाद आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मॉनेटरी पॉलिसी रेट की घोषणा की. आरबीआई ने ब्याज दर को 6.50 फीसदी पर यथावत रखा. इससे पहले अप्रैल के महीने में रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया था. वहीं फरवरी माह में आरबीआई ने रेपो रेट में 25 बेसिस पाइंट की बढ़ोतरी की थी. जिसके बाद रेपो रेट 6.50 फीसदी हो गया था. मई 2022 से फरवरी 2023 तक यानी एक साल में ब्याज दरों में 2.50 फीसदी का इजाफा हुआ है. (पढ़ें, महाराष्ट्र : कोल्हापुर हिंसा के बाद शहर में धारा 144 लागू, इंटरनेट सेवा भी बंद)
रेपो दर को 6.5% पर अपरिवर्तित रखा गया है: RBI गवर्नर शक्तिकांत दास pic.twitter.com/Wh94c8OVBz
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 8, 2023
वित्त वर्ष 2023-24 में सीपीआई इंफ्लेशन 5.1 फीसदी रहने का अनुमान
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि भारत में कंज्यूमर प्राइस इन्फ्लेशन मार्च-अप्रैल 2023 के दौरान कम हुई. 2022-23 में यह 6.7 फीसदी से गिरकर टॉलरेंस बैंड में आ गयी है. हालांकि हेडलाइन महंगाई अभी भी फ्रेश आंकड़ों के अनुसार लक्ष्य से ऊपर है. आरबीआई के अनुमानों के अनुसार, 2023-24 में मुद्रास्फीति 4 फीसदी से ऊपर रहेगी. वहीं वित्त वर्ष 2023-24 में सीपीआई इंफ्लेशन 5.1 फीसदी रह सकती है.
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रेपो रेट बढ़ने से कर्ज लेना होता है महंगा
अगर आरबीआई रेपो रेट बढ़ाता है तो कर्ज लेना महंगा हो जाता है. क्योंकि बैंकों की बोरोइंग कॉस्ट बढ़ जाती है. इसका असर बैंक के ग्राहकों पर पड़ेगा. होम लोन के अलावा ऑटो लोन और अन्य लोन भी महंगे हो जाते हैं. जिसके कारण लोगों को पहले की तुलना में ज्यादा ईएमआई देनी पड़ती है. दूसरी तरफ रेपो रेट घटाने से आम जनता पर ईएमआई का बोझ कम होता है. रेपो रेट वह दर होता है, जिस पर आरबीआई (RBI) बैंकों को कर्ज देता है.
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11 महीने में आरबीआई ने रेपो रेट में 2.50 फीसदी की बढ़ोतरी की
बता दें कि आरबीआई महंगाई को काबू में करने की हर मुमकिन कोशिश कर रहा है. 2022 में अबतक रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में 5 बार इजाफा कर चुका है. जिसके बाद रेपो रेट 6.50 फीसदी पर पहुंच गया है. आरबीआई ने 4 मई को अचानक ब्याज दरों में बदलाव करने का ऐलान किया था. शक्तिकांत दास ने रेपो रेट को 40 बेसिस पाइंट बढ़ाकर 4.40 फीसदी कर दिया था. फिर जून में रेपो रेट में 50 बेसिस पाइंट का इजाफा किया गया. जिसके बाद रेपो रेट 4.40 फीसदी से बढ़कर 4.90 फीसदी हो गया था. रिजर्व बैंक ने 5 अगस्त को रेपो रेट में 50 बेसिस पाइंट बढ़ाकर 5.40 फीसदी कर दिया था. वहीं 30 सितंबर को रेपो रेट 50 बेसिस पाइंट बढ़कर 5.90 फीसदी हो गया. वहीं 7 दिसंबर को आरबीआई ने रेपो रेट 35 बेसिस पाइंट बढ़ाकर 6.25 फीसदी कर दिया. वहीं 8 फरवरी को आरबीआई ने रेपो रेट 25 बेसिस पाइंट बढ़ाकर 6.50 फीसदी कर दिया. इसके बाद आरबीआई ने रेपो रेट में कोई बढ़ोतरी नहीं की.
क्या होता है रेपो रेट?
रेपो रेट वह दर होती है जिस पर आरबीआई बैंकों को कर्ज देता है, जबकि रिवर्स रेपो रेट उस दर को कहते हैं जिस दर पर आरबीआई बैंकों को पैसा रखने पर ब्याज देती है. रेपो रेट के कम होने से लोन की ईएमआई घट जाती है, जबकि रेपो रेट में बढ़ोतरी से सभी तरह के लोन महंगे हो जाते हैं.
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