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झारखंड में बेहतर बिजली व्यवस्था के लिए तैयार एक्शन प्लान को केंद्रीय विद्युत प्राधिकार ने दी स्वीकृति

Ranchi: झारखंड में बेहतर बिजली व्यवस्था के लिए तैयार एक्शन प्लान को केंद्रीय विद्युत प्राधिकार(सीइए) ने स्वीकृति दे दी है. यह एक्शन प्लान 2034-35 तक के लिए तैयार किया गया है. विद्युत मंत्रालय ने देश में बिजली की आपूर्ति को और अधिक विश्वसनीय और सस्ती बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है. इसी के तहत केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) ने वर्ष 2034-35 तक प्रत्येक राज्य के लिए इंट्रा-स्टेट ट्रांसमिशन सिस्टम संसाधन पर्याप्तता योजना तैयार करना शुरू कर दिया है.

 

इंट्रा-स्टेट ट्रांसमिशन सिस्टम

 

इंट्रा-स्टेट ट्रांसमिशन सिस्टम राज्य के भीतर बिजली के ट्रांसमिशन के लिए जिम्मेदार है. यह योजना ग्रिड विश्वसनीयता, कुशल ट्रांसमिशन इंफ्रास्ट्रक्चर प्लानिंग, लागत अनुकूलन और उपभोक्ताओं को सस्ती 24x7 बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित करेगी.

 

क्यों जरूरी है यह योजना

 

•    ग्रिड विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए
•    कुशल ट्रांसमिशन इंफ्रास्ट्रक्चर प्लानिंग के लिए
•    लागत अनुकूलन के लिए
•    उपभोक्ताओं को सस्ती 24x7 बिजली की आपूर्ति के लिए

 

2034-35 तक होगी 6800 मेगावाट बिजली की जरूरत


 एक्शन प्लान के मुताबिक, 2034-35 तक झारखंड में 6800 मेगावाट बिजली की जरूरत होगी. लेकिन एक्शन प्लान के मुताबिक 2030 तक बिजली की कुल उपलब्धता 6230 मेगावाट होगी. वर्तमान वित्तीय वर्ष 2025-26 में राज्य में 3576 मेगावाट की मांग है. जबकि वित्तीय वर्ष 2026-27 में यह बढ़कर 3808 मेगावाट होने का अनुमान है. 

 

पिछले सात साल में कितनी रही बिजली की मांग

 

वित्तीय वर्ष बिजली की मांग(मेगावाट में)
2018-19   1,339
2019-20 1,396
2020-21 1,651
2021-22 1,887
2022-23 2,253
2023-24 2,193
2024-25 2,295

    
         

आने वाले वर्षों में कितनी बिजली की होगी जरूरत

वित्तीय वर्ष कितना रहेगा पीक डिमांड (मेगावाट में)
2025-26 3576
2026-27 3808
2027-28 4048
2028-29 4297
2029-30 4597
2030-31 4800
2031-32 4997
2034-35 6800


        

राज्य में 2030 तक कितनी बिजली उपलब्ध होगी


•    2030 तक पतरातू थर्मल पावर प्लांट से 4000 मेगावाट
•    2030 तक टीवीएनएल से 1320 मेगावाट
•    2027 तक चंदनक्यारी में सोलर पावर से 20 मेगावाट
•    टीटीपीएल ललपनिया में सोलर पावर प्लांट से 50 मेगावाट
•    चांडिल में फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट से 600 मेगावाट
•    इरबा में फ्लोटिंग सोलर प्लांट से 100 मेगावाट
•    गिरिडीह में सोलर पावर से 140 मेगावाट
•    2030 तक बिजली की कुल उपलब्धता होगी 6230 मेगावाट

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