- डहर ऐप में आदिवासी छात्रों के लिए अलग धर्म कॉलम नहीं, सरकारी धर्मांतरण का आरोप
Ranchi : शिक्षा विभाग के डहर ऐप में आदिवासी छात्रों के लिए अलग धर्म कॉलम नहीं होने को लेकर आदिवासी बचाओ मोर्चा ने विरोध जताया है. इस मुद्दे को लेकर सिरमटोली सरना स्थल पर एक संवाददाता सम्मेलन आयोजित किया गया.
वक्ताओं ने कहा कि स्कूलों में 3 से 18 वर्ष के बच्चों का सर्वे किया जा रहा है, जिसमें सभी धर्मों के लिए कॉलम हैं, लेकिन आदिवासी/सरना धर्म के लिए कोई अलग कॉलम नहीं है. इस कारण आदिवासी बच्चों को हिंदू, जैन, बौद्ध या ईसाई धर्म में दर्ज किया जा रहा है, जिससे उनकी वास्तविक पहचान समाप्त हो रही है.
पूर्व शिक्षा मंत्री गीता श्री उरांव ने कहा कि स्कूली स्तर पर जिस प्रकार जनगणना जैसा सर्वे कराया जा रहा है, उसमें आदिवासी बच्चों के लिए अलग धर्म कॉलम नहीं होना गंभीर चिंता का विषय है. उन्होंने इसे आदिवासी पहचान को खत्म करने का षड्यंत्र बताया और कहा कि यह आदिवासी समाज पर कुठाराघात है. यह सरकारी स्तर पर आदिवासी छात्रों का धर्मांतरण है.
डहर ऐप में सरना धर्म कॉलम जोड़ने की मांग
पूर्व मंत्री देवकुमार धान ने कहा कि आदिवासियों के लिए अलग धर्म कॉलम की मांग को लेकर केंद्र सरकार से आग्रह किया जाएगा. आज आदिवासी और ईसाई समाज को आपस में लड़ाकर राजनीतिक एजेंडा साधा जा रहा है.
सरना धर्म कॉलम का प्रस्ताव झारखंड विधानसभा में पारित हो चुका है, लेकिन अब तक इसे लागू नहीं किया गया है. झारखंड में आदिवासियों के लिए सातवां धर्म कॉलम नहीं होना दुर्भाग्यपूर्ण है.
देवकुमार धान ने बताया कि 25 फरवरी को आदिवासी धर्म कॉलम की मांग को लेकर दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि वर्ष 2011 में 83 जनजातीय समाजों ने धर्म कॉलम की मांग की थी, लेकिन सरना धर्म को बार-बार नकारा गया.
राजनीतिक दलों के शिकार हो रहे आदिवासी- प्रेम शाही मुंडा
प्रेम शाही मुंडा ने कहा कि शिक्षा विभाग द्वारा कराए जा रहे सर्वे में आदिवासी धर्म कॉलम का न होना गंभीर साजिश है. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री और राज्यपाल से मुलाकात की जाएगी. आज आदिवासी समाज राजनीतिक दलों के शिकार बनते जा रहे हैं और उनकी पहचान को खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है.
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