Ranchi : रांची नगर निगम द्वारा पिछले एक महीने से चलाए जा रहे अतिक्रमण हटाओ अभियान ने फुटपाथ पर व्यापार करने वाले हजारों लोगों की ज़िंदगी को प्रभावित किया है. इस अभियान के तहत शहर के विभिन्न इलाकों से छोटी दुकानों, ठेलों और फेरीवालों को हटाया जा रहा है. जिससे इनका रोजगार छिन गया है और जीवन यापन का संकट उत्पन्न हो गया है.
दुकान ही था एकमात्र सहारा
प्रभावित फुटपाथ दुकानदारों का कहना है कि उनका ठेला या छोटी दुकान ही उनके परिवार की जीविका का एकमात्र स्रोत थी. दुकानों के हटने के बाद अब उन्हें भुखमरी की नौबत आ गई है.एक दुकानदार ने कहा कि रोज की कमाई से ही घर चलता था, अब समझ नहीं आ रहा कि जाएं तो कहां जाएं. रोजगार छिन गया है और कोई विकल्प नहीं बचा.
क्या नगर निगम असली समस्याओं से मुंह मोड़ रही है
विक्रेताओं ने नगर निगम पर सवाल उठाते हुए कहा कि शहर की असली समस्याएं - जैसे नालियों की सफाई, जर्जर सड़कों की मरम्मत और जल निकासी की समस्या पर ध्यान देने के बजाय केवल छोटे दुकानदारों पर कार्रवाई की जा रही है.उनका कहना है कि बड़े स्तर पर अतिक्रमण करने वालों पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही, जिससे भेदभावपूर्ण रवैये का आरोप भी लगाया जा रहा है.
अपराध की ओर धकेले जाने का डर
स्थानीय लोगों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने आशंका जताई है कि यदि इन फुटपाथ दुकानदारों को रोजगार से वंचित किया गया, तो वे मजबूरी में गलत रास्तों की ओर बढ़ सकते हैं. यह स्थिति शहर की सामाजिक और कानूनी व्यवस्था को भी प्रभावित कर सकती है.
पुनर्वास की उठी मांग
फुटपाथ दुकानदारों ने राज्य सरकार और नगर निगम से पुनर्वास की मांग की है. उनका कहना है कि यदि अतिक्रमण हटाना आवश्यक है, तो उन्हें वैकल्पिक स्थल दिया जाए जहां वे उचित शुल्क देकर अपने व्यवसाय को जारी रख सकें.एक दुकानदार ने कहा कि हम सरकार को जगह का किराया देने को तैयार हैं, लेकिन कम से कम हमें अपना रोज़गार तो मिलना चाहिए.
नागरिकों की भी सहमति
शहर के अनेक नागरिकों और सामाजिक संगठनों का भी मानना है कि शहरी विकास के नाम पर छोटे व्यापारियों की अनदेखी नहीं की जानी चाहिए. यदि अतिक्रमण हटाना ज़रूरी है, तो पुनर्वास की समुचित व्यवस्था भी उतनी ही अनिवार्य है.
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