Ranchi: मेनरोड स्थित गोस्सनर एवेंजिकल लूथरन इन छोटानागपुर एंड असम चर्च ने एक सदी पूरी की है. इस दौरान कई बार सर्वोच्च (आसीन) पदों के नाम में परिवर्तन हुए. जीईएल चर्च में शुरूआत में सर्वोच्च पदों पर आसीन मुख्य व्यक्ति प्रेसिडेंट कहलाते थे. इसके बाद से प्रमुख अध्यक्ष हुए. वर्तमान में मॉडरेटर कहलाए.
इस गौरवशाली यात्रा में समाज, शिक्षा और आस्था के क्षेत्र में गहरी छाप छोड़ी है. 1919 में पहले प्रेसिडेंट के चयन के साथ शुरू हुई. यह संस्था आज भी ईश्वरीय सेवा और सामाजिक विकास में कार्य कर रही है.
जीईएल चर्च के पहले प्रेसिडेंट थे रेव्ह हनुक्काह लकड़ा
गोस्सनर चर्च की बुनियाद रखने वाले पहले प्रेसिडेंट रेव्ह हनुक्काह लकड़ा थे, जिन्होंने 1919 से 1924 तक सेवा दी. उनके बाद रेव्ह जॉहन टोपनो (1924-1935), दाऊद कुजूर (1935-1939), रेव्ह लीक जोंसनोस (1939-1942), रेव्ह जुएल लकड़ा (1945-1954), रेव्ह हबील टोपनो (1954-1955) और रेव्ह जेम्स पॉल तिग्गा (1955-1960) ने चर्च का नेतृत्व संभाला. यह वह दौर था, जब चर्च के अध्यक्ष को प्रेसिडेंट कहा जाता था, जिन्होंने धर्मप्रचार और शिक्षा के क्षेत्र में बुनियादी कार्य किए.
1960 से 1990: ‘प्रमुख अध्यक्ष’ का दौर
1960 से 1990 के बीच चर्च के सर्वोच्च पद को प्रमुख अध्यक्ष कहा जाने लगा. इस समय में चर्च ने ग्रामीण विकास, स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र में कार्य किए गए इस दौर के पहले प्रमुख अध्यक्ष रेव्ह जूएल लकड़ा बने, जिन्होंने संगठन को नई दिशा प्रदान किए.
1990 में मॉडरेटर पद पर आसीन थे रेव्ह डॉ क्राइस्ट सबन सोबरिएन
1990 के बाद चर्च के सर्वोच्च पद का नाम मॉडरेटर रखा गया. जिनमें मॉडरेटर के पद पर मार्सल केरकेट्टा आसीन है. इस काल में चर्च ने अपने कार्यों को राष्ट्रीय स्तर पर काम करने लगे और डिजिटल दौर में कदम रखना शुरू किए. इस दौर में रेव्ह डॉ क्राइस्ट सबन सोबरिएन इस चर्च के पहले मॉडरेटर बने. जिन्होंने सेवा कार्यों को युवा भागीदारी में जोड़ने का काम किए.
शिक्षा, स्वास्थ्य क्षेत्र में किए गए महत्वपूर्ण कार्य
रांची, छोटानागपुर, असम,मध्य प्रदेश,छत्तीसगढ़ समेत बंगाल क्षेत्र में इसके दर्जनों स्कूल, हॉस्टल और प्रशिक्षण केंद्र खोले गए है.आज भी हजारों विद्यार्थी इन संस्थानों में पढ़ रहे हैं एवं लाभान्वित हो रहे हैं.




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