- श्रद्धा, शुद्धता और समर्पण का प्रतीक है यह पर्व
Ranchi : लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा 25 अक्टूबर से प्रारंभ होगा और 28 अक्टूबर तक मनाया जाएगा. इस अवसर पर विश्व हिंदू परिषद सेवा विभाग एवं श्रीकृष्ण प्रणामी सेवा धाम ट्रस्ट के प्रांतीय प्रवक्ता संजय सर्राफ ने कहा कि छठ पर्व प्रकृति, सूर्य, जल और मानव के पारंपरिक संबंध का प्रतीक है.

उन्होंने कहा कि भारत में पर्व-त्योहारों की परंपरा जितनी प्राचीन है, उतनी ही विविधतापूर्ण भी है. इन्हीं में से एक छठ पूजा है, जिसे विशेष रूप से बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में अत्यधिक श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है. आज यह पर्व देश-विदेश में बसे भारतीयों के बीच भी उत्साहपूर्वक मनाया जाता है.
चार दिवसीय इस पर्व की शुरुआत 25 अक्टूबर को नहाय-खाय से होगी, इसके बाद 26 अक्टूबर को खरना, 27 अक्टूबर को संध्या अर्घ्य और 28 अक्टूबर को सुबह का अर्घ्य देकर व्रती उपवास तोड़ेंगे.
संजय सर्राफ ने बताया कि सूर्य देव को जीवन और ऊर्जा का आधार माना गया है, जबकि छठी मैया संतान सुख, स्वास्थ्य और समृद्धि की अधिष्ठात्री देवी हैं. पौराणिक मान्यता के अनुसार, द्रौपदी और राजा प्रियव्रत ने छठ व्रत रखकर वरदान प्राप्त किया था.
उन्होंने कहा कि यह पर्व पूर्ण सात्विकता, शुचिता और संयम का परिचायक है. व्रती चार दिनों तक कठोर नियमों का पालन करते हैं और पूजा में प्राकृतिक वस्तुएं जैसे बांस की सुप, ठेकुआ, नारियल, गन्ना और फल का उपयोग करते हैं.
छठ पूजा केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं, बल्कि सामाजिक एकता और पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी देती है. घाटों पर सभी लोग जाति-धर्म से ऊपर उठकर एक साथ सूर्य उपासना करते हैं. यह पर्व भारतीय संस्कृति की उस अनमोल परंपरा का उत्सव है, जो मनुष्य और प्रकृति के अटूट बंधन को दर्शाता है.



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