Ranchi : हजारीबाग-बरही (NH-33) सड़क चौड़ीकरण के दौरान हुई पेड़ों की अंधाधुंध कटाई और उसके बदले किए गए पौधारोपण के दावों पर झारखंड हाई कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है.
बुधवार को हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ ने इस मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए सुनवाई की, जिसमें एनएचएआई (NHAI) के प्रोजेक्ट डायरेक्टर सशरीर अदालत में हाजिर हुए.
सुनवाई के दौरान अदालत ने NHAI से पिछले पांच वर्षों में पौधारोपण पर हुए खर्च का पूरा ब्यौरा मांगा. प्रोजेक्ट डायरेक्टर ने अदालत को बताया कि हजारीबाग-बरही सड़क के किनारे अब तक लगभग 20 हजार पौधे लगाए गए हैं.
इन पौधों की खरीद और उनके रोपण पर NHAI ने करीब 8 करोड़ रुपये की भारी-भरकम राशि खर्च की है. NHAI के इन दावों को याचिकाकर्ता के अधिवक्ता इंद्रजीत सामंता ने पूरी तरह से भ्रामक करार दिया. हाई कोर्ट ने इस मामले में गहरी चिंता व्यक्त की है.
अदालत का मुख्य फोकस इस बात पर है कि विकास के नाम पर काटे गए पुराने और विशाल पेड़ों की भरपाई कैसे होगी. यदि 8 करोड़ रुपये खर्च करने के बाद भी सड़क किनारे हरियाली नहीं दिख रही है, तो यह सार्वजनिक धन की बर्बादी और पर्यावरण के साथ खिलवाड़ है.
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