Ranchi : झारखंड में कुड़मी महतो बनाम आदिवासी के बाद अब सरना बनाम ईसाई का विवाद जोरो से चल रहा है. अब यह विवाद डीलिस्टिंग, धर्मांतरण और आरक्षण पर केंद्रित हो चुका है.
बुधवार को आदिवासी क्षेत्र सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष ग्लैडसन डुंगडुंग, अजय तिर्की और सुषमा बिरूली ने पुरूलिया रोड स्थित एसपीडीसी सभागार हॉल में मिडिया से कहा कि कुड़मी महतो को एसटी सूची में शामिल करने के विरोध में चल रहे आंदोलन से आरएसएस और भाजपा भयभीत हो गई है. क्योंकि इसका राजनीतिक लाभ झामुमो और कांग्रेस पार्टी को मिल रहा है.
क्षेत्र सुरक्षा परिषद् के अध्यक्ष ग्लैडसन डुंगडुंग ने कहा कि विगत 250 वर्षों मंं धर्मांतरण आरक्षण और डीलिस्टिंग का विवाद नहीं था. लेकिन अब आदिवासियों को आपस में लड़ाकर भाजपा सत्ता हासिल करना चाहते है.
ये लोग आदिवासियों के जमीन, इलाका और खनिज संपदा, वन संपदा एवं जल संसाधन को पूंजीपतियों को सौंप देना चाहते है और वहां सामान्य कानून लागू करने का षडयंत्र रच रहे है.
धर्मांतरण, आरक्षण व डीलिस्टिंग का शोरगुल मचाने वाले आरएसएस के लोग
वक्ताओं ने कहा कि धर्मांतरण, आरक्षण और डीलिस्टिंग का शोरगुल मचाने वाले लोग आरएसएस के लोग हैं. जिन्हें भाजपा के लिए वोट जुगाड़ करने के लिए मोर्चा पर लगाया गया है. इन्हें सरना धर्म, सरना कोड, सरना झंड़ा, सरना स्थल और सरना आदिवासियों से कोई लेना-देना नहीं है.
ये लोग सिर्फ अपनी निजी और राजनीतिक हितों को साधने के लिए नफरत फैला रहे हैं. ऐसे लोगों को पहचाने की जरूरत है. हम आदिवासियों के मूल मुद्दे आदिवासी पहचान, स्वायत्तता, सरना कोड, भाषा-संस्कृति और जमीन, प्राकृतिक संसाधनों पर मालिकाना हक है. इसलिए हमें अपने हक और अधिकारों की सुरक्षा के लिए एकजुट होना होगा.
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