Ranchi : नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने राज्य सरकार पर मुद्दों को लेकर कई अटैक किए गए हैं. पहला उन्होंने नगर निकाय चुनाव को लेकर सवाल खड़े किए हैं. सोशल मीडिया पोस्ट पर लिखा है कि नगर निकाय चुनाव नहीं कराने के कारण हाईकोर्ट ने कांग्रेस-झामुमो गठबंधन को जोरदार तमाचा मारा है. राज्य के कई नगर निकायों का कार्यकाल पांच वर्ष पूर्व ही समाप्त हो चुका है. बीते दो साल से अधिक समय से पूरे प्रदेश में नगर निकायों को सिर्फ प्रशासकों के भरोसे चलाया जा रहा है.
नागरिकों का लोकतांत्रिक अधिकार छीन लिया
परिवारवाद की राजनीति करने वाली कांग्रेस-झामुमो ने शहरी क्षेत्र के नागरिकों का लोकतांत्रिक अधिकार छीन कर उन्हें बुनियादी नागरिक सुविधाओं से वंचित कर दिया है. स्वच्छता नहीं होने के कारण नालियां बजबजा रही हैं, चारों ओर गन्दगी का अंबार लगा हुआ है, सड़कें क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं फिर भी राजनीतिक कुंठा में सरकार निकाय चुनाव नहीं करा रही है. लोकतंत्र का गला घोंटने वाली इस सरकार को जनता कभी माफ नहीं करेगी.
झारखंड सरकार संविधान पर कर रही हमला
नेता प्रतिपक्ष ने कहा है कि झारखंड सरकार संविधान पर हमला कर रही है और रूल ऑफ लॉ का गला घोट रही है. ये वक्तव्य झारखंड हाईकोर्ट का है. हाईकोर्ट ने 4 जनवरी 2025 को अधिसूचना जारी करके सरकार को नगर निकाय चुनाव तीन हफ़्ते के भीतर कराने का निर्देश दिया था. आज 19 जुलाई है, ना चुनाव करवाये गये ना ही कोर्ट से मांगे गये चार माह के समय में चुनाव की कोई तैयारियां की गई.
इस तरह हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना करना दिखाता है कि हेमंत सरकार न्यायपालिका का कितना सम्मान करती है. जब कोर्ट ने वापस इस मुद्दे पर सरकार से जवाब मांगा तो बहाना दिया गया कि राज्य निर्वाचन आयोग की नियुक्ति नहीं की गई है. मुख्यमंत्री लोकतंत्र और संविधान के हर संस्थान को अपने अधीन रखकर उसे नियंत्रित करना चाहते हैं.
डीजीपी की नियुक्ति पर खड़े किए सवाल
लोकतंत्र की आत्मा के खिलाफ यह सरकार का कोई पहला काम नहीं है, डीजीपी की नियुक्ति से लेकर स्थानीय निकायों में चुनाव कराने तक सरकार ने संविधान के नियमों के साथ खिलवाड़ किया है, उन्हें तोड़ मरोड़ कर अपने राजनीतिक हित के लिए प्रयोग किया है. हर संवैधानिक संस्था को मृतप्राय कर देने का षड्यंत्र रचा है, ताकि सरकार द्वारा किए जा रहे अन्याय व अत्याचार के विरुद्ध आवाज उठाने की कोई संभावना ही ना रहे. सरकार कितनी भी कोशिश कर ले, इस तानाशाही का अंत निश्चित है.इंदिरा गांधी ने भी संविधान की हत्या और लोकतांत्रिक संस्थाओं को नियंत्रित करने का प्रयास किया था, परंतु उस आपातकाल के काले अध्याय का अंत कैसा हुआ, हेमंत सरकार को याद रखना चाहिए.
नाला पार कर स्कूल जाने को मजबूर हैं बच्चे
नेता प्रतिपक्ष ने एक वीडियो शेयर करते हुए कहा है कि झारखंड के सिमडेगा जिले में स्कूली बच्चे जान जोखिम में डालकर नाला पार करके स्कूल जाने को मजबूर हैं. मुख्यमंत्री, मंत्री और अफसरों के बच्चे महंगे प्राइवेट स्कूलों में सुविधाओं के बीच पढ़ाई करते हैं, इसलिए उन्हें गरीब बच्चों की शिक्षा और सुरक्षा की कोई चिंता नहीं है.
प्रदेशभर से ऐसी कई तस्वीरें सामने आ रही हैं, जहां मासूम बच्चों को स्कूल जाने के लिए खतरनाक रास्तों से गुजरना पड़ता है. झारखंड की कथित 'अबुआ सरकार' बच्चों को स्कूल तक सुरक्षित पहुंचाने के लिए रास्ते की व्यवस्था तक करने में विफल रही है.