Ranchi : झारखंड में नशीले पदार्थों की बढ़ती अवैध बिक्री को गंभीर मानते हुए झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य पुलिस और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) को सख्त निर्देश दिए हैं.
शुक्रवार को हाई कोर्ट ने कहा है कि केवल छोटे तस्करों पर कार्रवाई पर्याप्त नहीं है, बल्कि बड़े माफिया तक पहुंचना जरूरी है अन्यथा एनडीपीएस एक्ट का उद्देश्य ही विफल हो जाएगा.
हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि पुलिस की ओर से दायर शपथपत्र में बाहरी राज्यों से नशीले पदार्थों की आपूर्ति की बात तो कही गई है, लेकिन अंतरराज्यीय तस्करों, पैसों के लेन-देन (मनी ट्रेल) और मोबाइल संपर्कों की प्रभावी जांच नहीं की गई.
सुनवाई के दौरान कोर्ट के निर्देश पर राज्य के डीजीपी और एनसीबी पटना जोन के अधिकारी व्यक्तिगत रूप से पेश हुए. डीजीपी ने कोर्ट को बताया कि नशे के खिलाफ एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार की जा रही है, जिसे एक माह में अंतिम रूप दिया जाएगा.
कोर्ट ने एसओपी और अन्य उठाए जा रहे कदमों का विवरण शपथपत्र के साथ प्रस्तुत करने का निर्देश देते हुए अगली सुनवाई 6 फरवरी निर्धारित की.
हाईकोर्ट इस मामले में स्वतः संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा है. कोर्ट ने राज्य में गांजा, ब्राउन शुगर और प्रतिबंधित कफ सीरप की खुलेआम बिक्री से जुड़ी मीडिया रिपोर्ट पर संज्ञान लिया है.
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