Ranchi : झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय (सीयूजे) के शिक्षा विभाग तथा अर्थशास्त्र एवं विकास अध्ययन विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित द्वि-साप्ताहिक आईसीएसएसआर-प्रायोजित क्षमता निर्माण कार्यक्रम सामाजिक विज्ञान में मात्रात्मक एवं गुणात्मक शोध पद्धतियां का अंतिम दिवस आध्यात्मिक एवं बौद्धिक वातावरण में संपन्न हुआ. कार्यक्रम की शुरुआत असतो मा सद्गमय प्रार्थना एवं दिन का विचार के साथ की गई.
पाठ्यक्रम निदेशक प्रो. (डॉ.) तपन कुमार बसंतिया ने प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए मुख्य अतिथि प्रो. पी. सी. अग्रवाल, संयुक्त निदेशक, एनसीईआरटी, नई दिल्ली का अभिनंदन किया. दिन के प्रथम दो सत्रों में प्रो. अग्रवाल ने विद्यालयी एवं उच्च शिक्षा के बीच गहन संबंधों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मजबूत विद्यालयी शिक्षा के बिना उच्च शिक्षा की गुणवत्ता सुनिश्चित नहीं की जा सकती. उन्होंने एनसीईआरटी द्वारा शिक्षकों के लिए संचालित शैक्षणिक एवं व्यावसायिक विकास कार्यक्रमों की जानकारी दी, जिनका उद्देश्य शिक्षण दक्षताओं एवं पाठ्यचर्या की समझ को सुदृढ़ करना है.
इसके साथ ही उन्होंने शोध अनुदान प्राप्ति हेतु प्रभावी शोध प्रस्ताव लेखन की रणनीतियों पर विस्तार से चर्चा की और शोधकर्ताओं के लिए बाह्य वित्तपोषण के महत्व को रेखांकित किया. सत्र अत्यंत संवादात्मक रहे, जिनमें प्रतिभागियों ने सक्रिय भागीदारी की. इसके पश्चात् प्रतिभागियों ने अधिगम परिणामों के मूल्यांकन हेतु आकलन परीक्षा में भाग लिया.
इसके बाद प्रो. नारायण सेठी, प्रोफेसर, एनआईटी राउरकेला, ओडिशा ने अकादमिक शोध पर केंद्रित व्याख्यान दिया, जिसमें उन्होंने शोध पत्र एवं सार (एब्स्ट्रैक्ट) लेखन की प्रभावी विधियों पर व्यावहारिक मार्गदर्शन प्रदान किया.
कार्यक्रम का समापन दीक्षांत सत्र के साथ हुआ, जिसमें प्रो. पी. सी. अग्रवाल, कुलसचिव श्री के. कोसला राव, डीन प्रो. आलोक कुमार गुप्ता, विभागाध्यक्ष प्रो. विमल किशोर, सह-पाठ्यक्रम निदेशक डॉ. संहिता सुचरिता तथा पाठ्यक्रम निदेशक प्रो. तपन कुमार बसंतिया सहित अन्य गणमान्य उपस्थित रहे. प्रो. आलोक कुमार गुप्ता ने स्वागत भाषण दिया, जबकि प्रो. बसंतिया ने कार्यक्रम की उपलब्धियों पर संक्षिप्त प्रतिवेदन प्रस्तुत किया.
दीक्षांत संबोधन में प्रो. अग्रवाल ने शिक्षकों के सतत व्यावसायिक विकास की आवश्यकता पर बल दिया. कुलसचिव श्री के. कोसला राव ने प्रतिभागियों को बधाई देते हुए उच्च शिक्षा एवं शोध को सुदृढ़ करने हेतु ऐसे कार्यक्रमों की आवश्यकता पर जोर दिया.
समारोह के दौरान प्रतिभागियों द्वारा कार्यक्रम की शैक्षिक यात्रा पर आधारित वीडियो प्रस्तुति दी गई, अनुभव साझा किए गए तथा प्रमाण-पत्र वितरित किए गए. कार्यक्रम का समापन धन्यवाद ज्ञापन एवं राष्ट्रगान के साथ हुआ.प्रतिभागियों ने इस क्षमता निर्माण कार्यक्रम की सराहना करते हुए इसे अपने अकादमिक विकास, सहयोगात्मक अधिगम तथा गुणवत्तापूर्ण शोध के लिए अत्यंत उपयोगी बताया.
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