Ranchi: हातमा मौजा क्षेत्र में मंगलवार को भक्ति और अध्यात्म का अद्भुत संगम देखने को मिला, जब सैकड़ों भोक्ताओं ने भगवान शिव और माता पार्वती के पवित्र पट को लेकर करमटोली और नगाड़ा टोली के घर-घर भ्रमण किया. इस परंपरा ने श्रद्धा, संस्कृति और सामाजिक एकता की मिसाल पेश की. गुरुजी गोस्वामी ने बताया कि 7 और 8 जून को मंडा पूजा का आयोजन होगा, जिसमें 300 से अधिक भोक्ता भाग लेंगे.
सुबह होते ही सभी भोक्ता पारंपरिक वेशभूषा में पैरों में घुंघरू, हाथों में बेथ और सिर पर पगड़ी बांधे शिव बूढा मंदिर में एकत्र हुए. मंदिर परिसर में पारंपरिक पूजा-अर्चना की गई और ढाक की गूंज से पूरा वातावरण भक्तिमय हो उठा. इसके बाद शिव-पार्वती के प्रतीकात्मक पट को लेकर श्रद्धालु मोहल्लों की ओर रवाना हुए.
पट के घरों में प्रवेश करते ही पूरे वातावरण में जैसे ऊर्जा का संचार हो गया. भक्तों ने पट को पवित्र जल से स्नान कराया और सिंदूर, अरवा चावल, पुष्प व अगरबत्तियों से आरती उतारी. पट पर अर्पित जल को घर के छप्पर पर छिड़का गया. जैसे ही यह जल नीचे गिरा, घर की महिलाएं उसे अपने आंचल में समेटती नज़र आईं.
भोक्ताओं ने पांच से दस घरों में पहुंचकर आशीर्वाद दिया. विशेष रूप से उन घरों में, जहां पीड़ा, कष्ट या मानसिक व्यथा थी, वहां वे आंगन में विश्राम करते दिखे. मान्यता है कि जब यह पवित्र पट किसी आंगन से होकर गुजरता है और भोक्ता घर की देहरी लांघते हैं, तो वहां की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाती है और सुख-शांति का वास होता है.
गुरुजी गोस्वामी ने कहा कि जब भगवान शिव-पार्वती का पट किसी घर में प्रवेश करता है, तो वहां केवल प्रतीक नहीं, बल्कि स्वयं दिव्य ऊर्जा का वास होता है. लोग उस क्षण को जीवन की सबसे पवित्र घड़ी मानते हैं.