Medninagar : पांकी मेदिनीनगर मुख्य पथ पर स्थित जीएलए कॉलेज के तोरण द्वार पर विश्वविद्यालय का बोर्ड लगाने के मामले ने तूल पकड़ लिया है. बोर्ड बदले जाने के बाद छात्र संगठनों ने कुलपति डॉ. दिनेश कुमार सिंह का विरोध शुरू कर दिया है. उनका आरोप है कि वीसी ने नियमों और संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन किया है
कॉलेज की संपत्ति पर बना है विश्वविद्यालय
छात्र नेताओं का कहना है कि वर्तमान में विश्वविद्यालय का भवन जीएलए कॉलेज की 25 एकड़ जमीन पर ही बना हुआ है. जबकि विश्वविद्यालय की डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) में कॉलेज से अलग रास्ते का उल्लेख है. इसके बावजूद नियमों को तक पर रखकर कुलपति ने अपनी मनमर्जी से कॉलेज के ऐतिहासिक तोरण द्वार पर विश्वविद्यालय का बोर्ड लगा दिया.
कॉलेज की ऐतिहासिक पहचान पर हमला
छात्रों का यह भी कहना है कि शहर के जाने-माने शिक्षाविद स्व. गणेश लाल अग्रवाल ने कॉलेज के लिए 84 एकड़ भूमि दान दी थी और उन्हीं के नाम पर कॉलेज का नामकरण किया गया है. जीएलए कॉलेज प्रमंडल का प्रीमियर कॉलेज है. इससे प्रमंडल के लोगों और छात्रों की भावनाएं जुड़ी हुई हैं. ऐसे में तोरण द्वार से कॉलेज का बोर्ड हटाकर विश्वविद्यालय का बोर्ड लगाना कॉलेज की ऐतिहासिक पहचान पर हमला है.
आंदोलन की चेतावनी
छात्र संगठनों ने चेतावनी दी है कि अगर विश्वविद्यालय इस पर जल्द संज्ञान लेकर दोबारा कॉलेज का बोर्ड नहीं लगाता है और विश्वविद्यालय का बोर्ड नहीं हटाता है तो इसके खिलाफ आंदोलन किया जाएगा.
छात्र नेताओं ने कहा-पलामू के इतिहास से छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं
आपसु के जीएलए कॉलेज अध्यक्ष साहिल गुप्ता ने कहा कि कुलपति पलामू के इतिहास के साथ छेड़छाड़ कर रहे हैं. साथ ही महान शिक्षाविद स्व.गणेश लाल अग्रवाल का अपमान कर रहे हैं.
वहीं एनएसयूआई के प्रदेश उपाध्यक्ष अमरनाथ तिवारी ने कहा कि इस मामले को लेकर महाविद्यालय तथा विश्वविद्यालय के छात्र व शिक्षक सभी के साथ मिलकर व्यापक आंदोलन किया जाएगा.
वहीं आपसू के राहुल दुबे ने इस असंवैधानिक कार्य के लिए कुलपति के ऊपर एफआईआर दर्ज करने की मांग की है.
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