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धनबाद की सड़कों पर 'डहरे टुसू' का उल्लास, दिखी झारखंडी संस्कृति की अनूठी छटा

Dhanbad : धनबाद की सड़कों पर बुधवार को झारखंडी लोक संस्कृति और परंपरा का अनूठा संगम देखने को मिला. टुसू पर्व के अवसर पर सरायढेला से रणधीर वर्मा चौक तक निकाली गई डहरे टुसू शोभायात्रा में हजारों की संख्या में श्रद्धालु उमड़े. वातावरण मांदर व नगाड़ों की थाप से गूंज उठा. बृहद झारखंड कला संस्कृति मंच व अन्य संगठनों के बैनर तले आयोजित यह शोभायात्रा सरायढेला मंडप थान से शुरू हुई. स्टीलगेट, सरायढेला थाना मोड़, आईएसएम, पुलिस लाइन होते हुए रणधीर वर्मा चौक पहुंची, तो वहां का नजारा उत्सवपूर्ण हो गया.


पारंपरिक परिधानों में सजी महिलाएं, युवतियां और बच्चे मांदर की थाप पर थिरकते हुए झारखंडी गौरव का संदेश दे रहे थे. इस उत्सव की खास बात यह रही कि इसमें केवल स्थानीय लोग ही नहीं बल्कि झारखंड, बंगाल और ओडिशा के लोग भी बड़ी संख्या में शामिल हुए. पारंपरिक वाद्ययंत्रों (ढोल, नगाड़ा और मांदर) के साथ कुड़माली लोकगीतों और लोकनृत्यों ने राहगीरों का मन मोह लिया.

 

आयोजकों ने बताया कि इस शोभायात्रा का मुख्य उद्देश्य झारखंडी और कुड़माली संस्कृति के महत्व को अगली पीढ़ी तक पहुँचाना है.यह पर्व फसल कटाई के बाद धान की देवी टुसू को समर्पित है. यह कुंवारी कन्याओं के स्वाभिमान और सम्मान के लिए जल-समाधि लेने वाली वीरांगना टुसूमनी की याद में मनाया जाता है.एक महीने तक चलने वाला यह उत्सव मकर संक्रांति के दौरान अपने चरम पर होता है जिसका समापन 15-16 जनवरी को प्रतिमा विसर्जन के साथ होता है. टुसू केवल एक त्योहार नहीं बल्कि हमारी पहचान और माटी की खुशबू है. 

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