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भगवान बिरसा मुंडा समाधि स्थल बोर्ड से "ल" अक्षर गायब, नगर निगम बेखबर

Ranchi: रांची के कोकर स्थित भगवान बिरसा मुंडा समाधि स्थल की स्थिति दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है. सौंदर्यीकरण और संरचनात्मक देखरेख के अभाव में यह ऐतिहासिक स्थल धीरे-धीरे जर्जर हो रहा है, जिससे आदिवासी समाज की भावनाओं को ठेस पहुंच रही है.


जर्जर हो चुका है मुख्य बोर्ड, "ल" अक्षर गायब


समाधि स्थल के प्रवेश द्वार पर एल्यूमिनियम से बना "भगवान बिरसा मुंडा समाधि स्थल" का बोर्ड अब पूरी तरह जर्जर हो चुका है. चमचमाते अक्षरों से सुसज्जित यह बोर्ड लगातार गिरता और टूटता रहा है. 
फिलहाल इसमें से "ल" अक्षर गायब है, जिससे बोर्ड पर अब "भगवान बिरसा मुंडा समाधि स्थ" ही दिखाई देता है. हैरानी की बात यह है कि इस समस्या के बावजूद नगर निगम की ओर से अब तक कोई मरम्मत कार्य नहीं कराया गया है.


कोई सुरक्षा नहीं, लोग करते हैं छेड़छाड़


समाधि स्थल पर किसी तरह की सुरक्षात्मक जाली नहीं लगाई गई है. इसके कारण लोग बेझिझक स्थल पर बैठ जाते हैं और कई बार संरचना के साथ छेड़छाड़ भी करते हैं. यह न सिर्फ स्थल की गरिमा को ठेस पहुंचाता है, बल्कि इसके धीरे-धीरे क्षतिग्रस्त होने की गति को भी तेज कर रहा है.


भगवान बिरसा की प्रतिमा तक पहुंचने वाली सीढ़ियां भी कमजोर


समाधि स्थल पर स्थापित भगवान बिरसा मुंडा की खड़ी प्रतिमा तक जाने वाली सीढ़ियां भी अब धीरे-धीरे कमजोर हो रही हैं. कुछ सीढ़ियां ढीली हो चुकी हैं और किसी भी समय उखड़ सकती हैं. विशेष अवसरों पर, जैसे कि 9 जून (शहादत दिवस) और 15 नवंबर (जन्मदिवस) को हजारों श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं, ऐसे में सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता बनी हुई है.


बाउंड्री वॉल में आई दरारें

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स्थल की सुरक्षा के लिए बनी चारदीवारी (बाउंड्री वॉल) में भी अब दरारें दिखने लगी हैं. हालांकि प्रशासन और नगर निगम के कर्मचारी यहां नियमित रूप से तैनात रहते हैं और साफ-सफाई की जिम्मेदारी निभाते हैं. लेकिन संरचनात्मक देखरेख और आवश्यक मरम्मत की दिशा में अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है.


सामाजिक संगठनों ने जताई चिंता

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समाधि स्थल की वर्तमान स्थिति को लेकर कई सामाजिक संगठनों और आदिवासी प्रतिनिधियों ने चिंता व्यक्त की है. केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष बबलु मुंडा ने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा सिर्फ झारखंड नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणा के प्रतीक हैं. उनके समाधि स्थल की यह दुर्दशा अत्यंत दुखद है और किसी भी दृष्टिकोण से स्वीकार्य नहीं है. प्रशासन को इसे तुरंत संज्ञान में लेकर स्थायी समाधान सुनिश्चित करना चाहिए.

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