Ranchi: सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार के सारंडा वन क्षेत्र के 31468.25 हेक्टेयर को Wild Live Sanctuary घोषित करने का आदेश दिया है. न्यायालय ने राज्य सरकार द्वारा 31468.25 हेक्टेयर के बदले 24941 हेक्टेयर को ही Sanctuary घोषित करने के अनुरोध को ठुकरा दिया है.
न्यायालय ने Sanctuary घोषित करने के लिए चार हफ्ते का समय दिया है. मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायाधीश के विनोद चंद्रन की पीठ ने 13 नवंबर को सारंडा मामले में अपना फैसला सुनाया.
सुप्रीम कोर्ट में सारंडा के मामले में 27 अक्तूबर को हुई सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. 27 अक्तूबर को राज्य सरकार की ओर से 31468.25 हेक्टेयर के बदले 24941.68 हेक्टेयर के Sanctuary घषित करने का अनुरोध किया था. इसके लिए सरकार की ओर से यह दलील दी गयी थी कि क्षेत्रफल कम नहीं करने की स्थिति में जंगल में रहने वाले लोगों का जनजीवन प्रभावित होगा.
साथ ही वहां बनायी गयी स्कूल, स्वास्थ्य उपकेंद्र सहित अन्य संरचनाएं बेकार हो जायेंगी. स्थानीय आदिवासी समुदाय के सामने विस्थापन और आजीविका की समस्या पैदा हो जायेगी. इसके अलावा SAIL के खनन कार्य सहित राज्य की आर्थिक और औद्योगिक हितों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. न्यायालय ने सरकार की इस दलील को अस्वीकार कर दिया है.
न्यायालय ने अपने फैसले में राज्य सरकार को यह निर्देश दिया है कि वह इस बात का व्यापक प्रचार प्रसार करें कि न्यायालय के फैसले से आदिवासियों के अधिकारों और हितों पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा. Forest Right Act(FRA) के तहत आदिवासियों और जंगल में रहने वालों के अधिकार संरक्षित रहेंगे.
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