Search

बड़े स्वाभिमान के साथ जीने वाला समूह है आदिवासी समाजः सीएम

  • हमारा दस्तावेज हमारी प्रकृति ही है

Ranchi : सीएम हेमंत सोरेन ने कहा है कि आदिवासी समाज एक ऐसा समाज इस धरती पर रहा है, जिसकी विभिन्न क्षेत्रों में हमेशा बहुत बड़ी भूमिका रही है. बड़े स्वाभिमान के साथ जीने वाला यह समूह है और इस समूह के बीच में अनगिनत वीर-वीरांगनाओं ने जन्म लिया है.

Uploaded Image

वे शुक्रवार को मुख्यमंत्री आवासीय परिसर में विभिन्न राज्यों से आए आदिवासी समाज के प्रतिनिधियों से मुलाकात करने के बाद उन्हें संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि देश के अलग-अलग कोने से हमारे वीर पुरुखों का संघर्ष ही हमारी ताकत रही है. मगर दुर्भाग्य से आदिवासी समाज बंटे हुए रहने को मजबूर रहा है.

 

जनगणना में आदिवासी समाज को उचित स्थान नहीं मिल पाता

सीएम ने कहा कि आज के दौर में अलग-अलग संघर्ष करने से संपूर्ण आदिवासी समाज एकजुट होकर आगे नहीं बढ़ पाता है. देश में समय-समय पर जनगणना होती रहती है.

 

सभी वर्गों के लिए गणना होती है पर इसमें आदिवासी समाज को उचित स्थान नहीं मिल पाता है. ऐसा रहा तो हम लोग विलुप्त होने की स्थिति में आ जाएंगे.

 

आर्थिक, सामाजिक, बौद्धिक, राजनीतिक क्षेत्र में हम आदिवासी समाज के लोगों के लिए आज घोर अभाव देखने को मिलता है. उन्होंने सवाल किया कि आदिवासी समाज के कितने लोग हैं जिन्हें विभिन्न क्षेत्रों में आगे बढ़ने का अवसर मिला है?

 

बड़ी मछली हमेशा छोटे मछली को खाने की कोशिश करती है

आज मुझे झारखंड के मुख्यमंत्री के तौर पर लोगों ने चुना है. लेकिन मुझे मालूम है जैसे-जैसे हम आगे बढ़ेंगे चुनौतियां और आगे बढ़ते चले जाएंगी. आप देखते होंगे बड़ी मछली हमेशा छोटे मछली को खाने की कोशिश करती है.

 

हां, अगर हम एक समूह के रूप में एकजुट हो जाएं तो हम बड़ी ताकत के रूप में आगे बढ़ सकते हैं. जल, जंगल, जमीन से जुड़े इस समाज को हाशिए पर रखा जाता रहा है. आज इसी वजह से पूरे विश्व में पर्यावरण को लेकर चिंताएं बढ़ चुकी हैं. दिल्ली के हालात आप देख ही रहे हैं.

 

झारखंड के वीर शहीदों ने संघर्ष कर आगे बढ़ने की ताकत प्रदान की

भगवान बिरसा मुंडा, सिदो कान्हो जैसे वीर शहीद, और झारखंड के परिपेक्ष में दिशोम गुरुजी जैसे हमारे वीर पुरुषों को देखें तो इन्होंने हमेशा संघर्ष कर आगे बढ़ने की ताकत समाज को प्रदान की है.

 

आज हमारी एक ऐसी व्यवस्था से लड़ाई है जो हमारे इर्द-गिर्द खड़ी रहती है. नॉर्थ ईस्ट और कुछ राज्यों को छोड़कर देखा जाए तो कहीं कोई आदिवासी मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया. हम बनें, तब जाकर हमारे पड़ोसी राज्यों में आदिवासी मुख्यमंत्री बनाया गया.

 

आदिवासी समाज का अपना बहुत वृहद दस्तावेज नहीं बन पाया

आदिवासी समाज का अपना बहुत वृहद दस्तावेज नहीं बन पाया है. लेकिन हम प्रकृति के पूजक हैं. हमारा दस्तावेज हमारी प्रकृति ही है. हर किसी को इस प्रकृति को ही नमन करना होता है.

 

यह मिट्टी ही हैं जहां से सब कुछ उगता है और वहीं सब कुछ खत्म होता है. आप देखेंगे कुछ लोग नारा लगाते हैं एक पेड़ मां के नाम पर आप पड़ोसी राज्य में हसदेव जंगल का हाल देख लीजिए.

 

प्रकृति और आदिवासी समाज को नीति निर्धारण में प्राथमिकता नहीं

झारखंड प्रकृति संपदा से परिपूर्ण राज्य है. यह हमारे लिए आशीर्वाद है या अभिशाप यह भी सोचने का विषय है क्योंकि प्रकृति और आदिवासी समाज को नीति निर्धारण में प्राथमिकता दी ही नहीं गई है. हमें एकजुट होकर एक मजबूत आदिवासी समाज के रूप में आगे आना होगा जिससे हमें कोई कमजोर समझने की कभी गलती नहीं करेगा.

 

आप सभी आदिवासी समाज के लोगों के साथ मैं पूरी मजबूती के साथ खड़ा हूं. आने वाले दिनों में कार्ययोजना बनाकर हम एक सशक्त आदिवासी समाज के निर्माण की सोच के साथ आगे बढ़ेंगे. सभी को हार्दिक आभार और जोहार.

 

हमारा आदिवासी समाज एकजुट होकर आगे बढ़े

आज यहां देश के विभिन्न आदिवासी समाज के अगुवा नेताओं समेत प्रतिनिधि एकजुट हुए हैं. हमारा आदिवासी समाज एकजुट होकर आगे बढ़े इसके लिए मैं हमेशा आप सभी के साथ हूं. आप सभी का पता और संपर्क नंबर मैं अपने ऑफिस को इकट्ठा करने के लिए निर्देशित कर चुका हूं. जब भी मैं आपके राज्यों में आऊंगा आपसे मुलाकात जरूर करूंगा.

Lagatar Media की यह खबर आपको कैसी लगी. नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में अपनी राय साझा करें.

Comments

Leave a Comment

Follow us on WhatsApp