Search

आशियाना उजड़ा... खुशियां आंसू बनकर बह रहे, अब कैसे मनेगा क्रिसमस

Ranchi: एक ओर पूरा शहर क्रिसमस की रौशनी, गीतों और खुशियों में डूबा है. दूसरी ओर डीआईजी ग्राउंड में बसे करीब दर्जनों ईसाई परिवारों के लिए यह पर्व इस बार दर्द और बेबसी की कहानी बनकर रह गया है. इनके लिए न रहने के लिए छत बची है और न ही क्रिसमस मनाने का ठिकाना बच सका है.


टूटे हुए घरों के मलबे के बीच जब पीड़ित परिवारों से मुलाकात हुई, तो दृश्य किसी भूकंप या सुनामी के बाद की त्रासदी जैसा प्रतीत हो रहा था. जिन हाथों से कभी एक मंजिला घर बनाए गए थे, आज वही हाथ ईंट, रॉड और पत्थर चुनकर एक कोने में जमा करते दिखे. खिड़कियां, दरवाजे, दीवारें,सब कुछ उजड़ चुका है और घर अब सिर्फ खंडहर बनकर रह गए हैं.


पीड़ित परिवार की सदस्य अनामिका गुड़िया भावुक हो कर बताती हैं कि चारों ओर क्रिसमस की खुशियां हैं. लोग अपने परिवार और बच्चों के साथ यीशु मसीह के आगमन की प्रतीक्षा कर रहे हैं, लेकिन हमें प्रशासन ने घर से बेघर कर दिया. हमारे पास अब मनाने के लिए कुछ भी नहीं बचा. इस क्षेत्र में पहले 8 से अधिक घर थे.

Uploaded Image

 

जहां गलोरिया कंडुलना, फ्लुजेंसिया बाड़ा, रेमन डुंगडुंग सोनु, मारिया सहित कई परिवार वर्षों से रह रहे थे. हर साल क्रिसमस के मौके पर घरों में केक, मिठाई और उपहार आते थे, मेहमानों का आना-जाना लगा रहता था. लेकिन इस बार न केक होगा, न मिठाई और न ही क्रिसमस गिफ्ट का इंतजार होगा. क्योंकि घर ही नहीं बचे हैं.

Uploaded Image


हाईकोर्ट के आदेश के बाद रिम्स की जमीन पर बसे इन परिवारों को अवैध कब्जाधारी बताकर इनके घर तोड़ दिए गए. किराए के मकान में रहने के लिए ये लोग मजबूर हो गये. जहां दर्जनों कमरों में आना-जाना लगा रहता था,अब मात्र दो कमरों में रहने के लिए मजबूर हो गये.

Lagatar Media की यह खबर आपको कैसी लगी. नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में अपनी राय साझा करें. 

Comments

Leave a Comment

Follow us on WhatsApp