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बालू का अवैध खनन करने वालों और थाना प्रभारी के बीच है मिलीभगत

Ranchi: थाना प्रभारी और बालू का अवैध खनन करने वालों के बीच मिलीभगत है. रांची के एसएसपी द्वारा हाईकोर्ट में दायर शपथ पत्र में वर्णित तथ्यों के आधार पर हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी की है. कोर्ट ने थाना में सनहा दर्ज करने के सालों बाद तक नियमित प्राथमिकी दर्ज नहीं करने के कारणों की जानकारी शपथ पत्र के माध्यम से मांगी है.


हाईकोर्ट में अवैध खनन के मामले में एक जनहित याचिका दायर की गयी थी. इसमें यह कहा गया था कि बुढ़मू, ठाकुरगांव, पिठोरिया और रातू में पुलिस की मदद से अवैध खनन हो रहा है. अवैध खनन की जानकारी एसएसपी को भी है. लेकिन वह भी इस मामले में किसी तरह की कार्रवाई नहीं कर रहे हैं. याचिका की सुनवाई के दौरान न्यायालय ने एसएसपी को इस मामले में शपथ दायर कर स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया था.


इस निर्देश के आलोक में एसएसपी की ओर से हाईकोर्ट में शपथ पत्र दायर किया गया. इसमें यह नदी से बालू के अवैध खनन की बात स्वीकार की गयी. शपथ पत्र में सनहा दर्ज करने का उल्लेख करते हुए कहा गया कि बुड़मू थाने में 21 सनहा दर्ज किये गये हैं. 56 जब्त गाड़ियों के सिलसिले में कार्रवाई करने के लिए जिला खनन पदाधिकारी को लिखा गया है.


एसएसपी की ओर से दायर शपथ पत्र में ठाकुरगांव थाने में 17 सनहा दर्ज करने का उल्लेख किया गया है. न्यायालय ने शपथ पत्र की समीक्षा में पाया कि थाने में सनहा तो दर्ज किये गये. लेकिन सनहा में लिखी गयी शिकायतों के आलोक में नियमित प्राथमिकी दर्ज नहीं की गयी है. न्यायालय ने यह जानना चाहा कि सनहा दर्ज करने के बाद इन अपराधों के मामले में नियमित प्राथमिकी क्यों दर्ज नहीं की गयी.


न्यायालय ने शपथ पत्र में वर्णित तथ्यों के आलोक में यह टिप्पणी की है कि लगता है कि बालू का अवैध खनन करने वालों और थाना प्रभारी के बीच मिलीभगत है. न्यायालय ने शपथ पत्र में एसएसपी द्वारा शपथ पत्र में सिर्फ सनहा के आलोक में नियमित प्राथमिकी नहीं करने वाले थाना प्रभारियों के खिलाफ की गयी कार्रवाई का उल्लेख नहीं करने पर आश्चर्य व्यक्त किया है.


न्यायालय ने शपथ पत्र की समीक्षा के बाद इससे संबंधित अपने आदेश में लिखा कि एसएसपी द्वारा दायर शपथ पर महज छलावा (eye wash) है. इसलिए इसे अस्वीकार किया जाता है. कोर्ट ने शपथ पत्र को अस्वीकार करते हुए दूसरा शपथ पत्र जारी करने का निर्देश दिया है. इसमें नियमित प्राथमिकी दर्ज नहीं करने का कारण की जानकारी देने का निर्देश दिया गया है. इस मामले की सुनवाई 29 अगस्त को निर्धारित है.

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