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ये अबुआ नहीं, ठगुवा सरकार हैः बाबूलाल मरांडी

Ranchi: नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा कि हेमंत सरकार ने झारखंड को छह वर्षों में एक कदम आगे नहीं बढ़ाया, बल्कि 25 वर्ष पीछे धकेल दिया है. यह सरकार पूरी तरह आदिवासी विरोधी, विकास विरोधी और जनविरोधी है. यह सरकार केवल नाम की “अबुआ सरकार” है, वास्तव में यह “ठगुवा सरकार” है, जिसने झारखंड के युवाओं और आदिवासियों को ठगा है. 

 

वे गुरुवार को घाटशिला में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोल रहे थे. कहा कि इलाज के नाम पर मौत परोसी जा रही है. चाईबासा सदर अस्पताल में थैलसीमिया से पीड़ित पांच आदिवासी बच्चों को एचआईवी संक्रमित रक्त चढ़ाया गया, जो राज्य सरकार की घोर लापरवाही और संवेदनहीनता का उदाहरण है.


मुख्यमंत्री मौन साधे बैठे हैं


मुख्यमंत्री मौन साधे बैठे हैं, जबकि स्वास्थ्य मंत्री विपक्ष पर दोष मढ़ने में लगे हैं. हेमंत सरकार की शुरुआत ही आदिवासियों की हत्या से हुई. 2020 में चाईबासा में सात आदिवासियों की हत्या हुई थी और इसी वर्ष सिद्धू-कान्हू के वंशज रामेश्वर मुर्मू की हत्या हुई, जो इस सरकार की असफलता का प्रमाण है. सरकार के संरक्षण में माफिया और घुसपैठिए आदिवासियों की जमीन लूट रहे हैं, महिलाएं असुरक्षित हैं, जबकि पेंशन, छात्रवृत्ति और रोजगार योजनाएं ठप हैं. पेसा कानून लागू न करके सरकार ने आदिवासियों के अधिकारों का गला घोंटा है.

 

लूट, भ्रष्टाचार और अव्यवस्था चरम पर


झारखंड में ब्लॉक और थाना स्तर पर केवल वसूली हो रही है, जनता परेशान है और विकास के सारे कार्य ठप हैं. हेमंत सरकार जनता के हितों की जगह लूट और भ्रष्टाचार में व्यस्त है, कानून-व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त है, अस्पतालों में डॉक्टरों की भारी कमी है. उन्होंने जनता से अपील की कि भाजपा प्रत्याशी बाबूलाल सोरेन को विजयी बनाएं, ताकि झारखंड को लूट और भ्रष्टाचार से मुक्ति मिल सके.

 

राज्य की डेमोग्राफी बदलने की साजिश


हेमंत सरकार ने फर्जी जन्म प्रमाणपत्र बनवाकर ग्रामीण इलाकों में वोट बैंक तैयार किया है. सरकार अपने राजनीतिक लाभ के लिए झारखंड की सामाजिक संरचना बदलने का षड्यंत्र कर रही है. घाटशिला जैसे आरक्षित क्षेत्र में मुस्लिम आबादी की वृद्धि दर पांच वर्षों में 29.4 प्रतिशत रही है, जबकि सामान्य वर्ग की केवल 3 प्रतिशत कि यह एक सुनियोजित साजिश है. हेंदलजोरी पंचायत में 174 मुस्लिम महिलाओं को मंईयां योजना निधि की राशि दी गई, जबकि उस पंचायत में एक भी मुस्लिम परिवार नहीं है.

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